1970 के दशक के उत्तरार्ध में “आपातकाल के दौरान जेल में सभी विपक्षी नेताओं की हत्या की योजना बनाने” के आरोप में राजनीतिक और सामाजिक परिदृश्य ने भारतीय न्यायिक प्रणाली को तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

तो, 19 दिसंबर 1978 को CBI ने भ्रष्टाचार के आरोप में “इंदिरा गांधी” को गिरफ्तार किया गया था और एक हफ्ते के लिए तिहाड़ जेल भेज दिया। इसके विरोध में देशभर में कांग्रेसी कार्यकर्ता सड़कों पर आंदोलन करने निकल पड़े।

तब ही, 20 दिसंबर को ख़बर आई कि कोलकाता से लखनऊ होते हुए दिल्ली जाने वाली 126 यात्रियों से भरी फ्लाइट का अपहरण कर लिया गया। विमान अपहरण करने वाले भोलानाथ पाण्डे और देवेन्द्र पाण्डेय उस समय के यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता थे।

उस विमान की वाराणसी में लैंडिंग करवाई गई और शर्त रखी गई कि इंदिरा गांधी को तत्काल रिहा किया जाय और संजय गांधी पर लगे सभी आरोप वापस लिये जाएं। इस पर रातभर सौदे बाजी चली और अंततः इंदिरा गांधी की रिहाई हुई।

बाद में पता चला कि जिस बंदूक और बम को दिखाकर विमान अपहरण किया गया था वो टॉय गन और क्रिकेट की गेंद थी। 126 यात्रियों की जान खतरे में डालने वाले इस अपराधिक कृत्य को कांग्रेस ने मजाक कहा था।

उत्तर प्रदेश यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ता और अपहरणकर्ता भोलानाथ पाण्डे और देवेन्द्र पाण्डेय को इनाम में लोक सभा और विधान सभा की सीट दी गई। भोलानाथ पांडे ने वर्ष 1980 से 1985 और 1989 से 1991 तक दोआबा, बलिया से कांग्रेस विधायक के रूप में कार्य किया।

दूसरी तरफ देवेंद्र पांडे दो कार्यकाल तक संसद के सदस्य रहे और उत्तर प्रदेश के महासचिव के रूप में कांग्रेस पार्टी की सेवा की। 1980 से 1985 तक और दूसरी बार 1989 से 1991 तक बलिया के रहने वाले भोला इंडियन यूथ कांग्रेस के जनरल सेक्रेट्री रहे। देवेंद्र पांडे वर्ष 1991, 1996, 1999, 2004, 2009 और 2014 यानी हर पांच वर्ष पर सलेमपुर से किस्मत आजमाते हैं, लेकिन कामयाबी नहीं मिलती है। देवेंद्र पांडे कांग्रेस की वापसी के बाद निष्ठावान कांग्रेसी गिने जाने लगे, राजीव गांधी के करीबी रहे। 24 सितंबर 2017 को उनकी मृत्यु हो गई।

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