रुपया-Dollers

रुपया-Dollers

-संपादकीय

रुपया अभी तक के अपने अधिकतम स्तर से नीचे गिर चुका है। अब तक की खबर है कि रुपया डॉलर के मुकाबले 78.94 पैसे तक गिर गया है। तमाम वो बातें जो पहले बीते वर्षों UPA सरकार के समय भाजपा विपक्ष में रह कर कहा करती थी कि “यह रुपया नहीं, सरकार की नैतिकता है जो गिर रही है”। वो सारी बातें और कुछ बहुत भद्दे कमेंट भी किए गए थे। अब भाजपा सत्ता में है, NDA सरकार की अगुआ है।

जो हम सब के जीवन पर गहरे असर डाल रही है और गांव से ले कर शहर तक के आम आदमी के हर रोज के जीवन को प्रभावित कर रहा है। जिससे हमारा व्यापार और रोजाना की जिंदगी प्रभावित होती है, हमारा गहरा सरोकार है। न हम चर्चा करते हैं, न समाचार माध्यम और न ही सरकार। अब हमारी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस पर हमारी नजर है और हम सतर्क हैं, हमने कुछ कदम उठाये हैं। लेकिन रुपया है कि गिरता ही जा रहा है। देश के अनेक वरिष्ठ अर्थाशास्त्री प्रो.अरुण कुमार व् अन्य सरकार को लगातार सचेत कर रहे हैं।

आप सोचें कि अगर रुपया और कुछ नीचे गिर गया तो आपके जीवन पर क्या असर पड़ने वाला है ? आपका जीवन बहुत बुरी तरह से तबाह हो जायेगा। अर्थशास्त्री और जर्नलिस्ट कहते आ रहे हैं कि अगर भारतीय मुद्रा 3-4 रुपया और नीचे गिर गया तो हिंदुस्तान की स्थिति श्रीलंका जैसी हो जायेगी। हम श्रीलंका जैसी आर्थिक हालात में पहुंच जायेंगे और देश के आम आदमी का जीवन बेहद खराब हो जायेगा। जबकि देश की आबादी 136 करोड़ में से 8 करोड़ 22 लाख 83 हजार और 407 लोग (व्यक्ति और कॉर्पोरेट मिलाकर) आय कर का भुगतान करते हैं।

हमारे पेट्रोल, डीजल, बैंक की ई.एम.आई., सब्जी, दूध आदि सब मंहगे हो जायेंगे। आम आदमी जी नहीं पाएगा। और, रुपया लगातार गिर रहा है! हम उम्मीद कर रहे हैं कि हमारे TV चैनल, समाचार माध्यम इस पर चिंता करेंगे, देश के गिरते आर्थिक हालात पर चिंतन करने के लिए देश के बड़े बड़े आर्थिक विशेषज्ञ और अर्थशास्त्री को बुलाकर बातचीत कर सरकार को संज्ञान लेने की बात करेंगे। आम आदमी को जागरूक करेंगे ताकि आम आदमी इसे समझ कर अपनी परेशानियों से निकल सकेंगे।

महाराष्ट्र के एक अखबार ने लिखा कि यह आपरेशन लोटस (30 जून को महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की बनी सरकार) में इन विधायकों के द्वारा नई सरकार बनाने के लिए तीन हजार करोड़ का बजट था। इस देश का आम आदमी कभी सपने में एक करोड़ भी नहीं देख पाता है। ये पैसा कौन दे रहा है, कहां से इतना पैसा आ रहा है? जब देश में नोट बंदी हो चुकी है, कालाधन समाप्त हो गया है? किसी को मतलब नहीं है, न टीवी चैनल को, न नेताओं को, न धर्म के ठेकेदारों को और न हीं आम आदमी को। यकीन मानिए, हम-आप अपने आर्थिक जीवन के मुद्दों को अपने दिमाग और कल्पना में भी नहीं ला पाते हैं। हमारे जीवन में पहला मुद्दा हिंदू के लिए मुसलमान और मुसलमान के लिए उनके रसूल, हिंदू व अन्य हैं।

CAA और NRC का विरोध करनेवाले मुस्लमान नौजवान कल तक भारतीय संविधान की पुस्तक सीने पर रख कर दिखाते हुए और हाथ में हिंदुस्तान का तिरंगा झंडा और अम्बेडकर की तस्वीर लेकर आन्दोलन कर रहे थे और लोकतंत्र की दुहाई दे रहे थे। अब वे सड़कों पर पत्थर चलाते, अंधी भीड़ बन कर नारा लगा रहा है – “गुस्ताख ए रसूल की एक सजा – सर तन से जुदा”। दुसरे धर्म के लोगों के घरों पर पत्थर चलाते, दुकान लूटते, अपना चोला उतार कर वे रसूल की रक्षा में कमजोर और बेबस आदमी की गर्दन रेतने लग गया इनके अगुआ चुप रहकर तेल की धार देख रहे है।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश लोकतंत्र और भारतीय समाज में तनाव की चिंता किये बिना सेकुलरिज्म की बोंड्री के बाहर जा कर मौखिक आरोप लगा रहे हैं। एक कट्टरपंथी इस्लामिक हत्या का समूचा जिम्मेदारी एक हिन्दू महिला के मत्थे मढ़ दिया

हम और हमारा देश हिंदुस्तान आनेवाले समय में श्रीलंका की स्थिति में पहुंचने जा रहा है, हमारे देश की जनता की माली हालत श्रीलंका की होने जा रही है। इसे हिंदुस्तान की सरकार क्या रोक सकती है ? इससे देश को देश की जनता को बचाया जाए, इसकी कोशिश की जाय।

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