वासिंगटन : अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं और राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन उम्मीदवारों में भारतवंशी कॉरपोरेट विवेक रामास्वामी लोकप्रियता प्राप्त कर रहे हैं। एक नए सर्वे और न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार रामास्वामी फ्लोरिडा के गवर्नर रोन डी-सेंटिस से 10-10% वोट की बराबरी कर दूसरा स्थान प्राप्त कर लिया है।

भारतवंशी बिजनेसमैन विवेक रामास्वामी

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में पिछले वर्षों से यह आम चुनावी मुद्दा है जो इस चुनाव में भी बना हुआ है। गर्भपात को लेकर एक कानून बनाना। अमेरिका में गन रखना आम है। किंतु बढ़ते अपराध में हथियारों का इस्तेमाल होने लगा है और लोग बात बात पर गोलियां चलाकर सामूहिक हत्या कर रहे हैं। तो गन रखने को लेकर कानून बनाना। अर्थव्यवस्था के मामले में अमेरिका बढ़ते कर्जों से दबा जा रहा है। उपभोक्ता वस्तुओं में महंगाई उच्च होती जा रही है। अमेरिका में शिक्षा का स्तर घटा है साथ ही शिक्षा महंगी भी हो गई है। और आंतरिक सुरक्षा के साथ अवैध प्रवासियों खासकर मुस्लिम प्रवासियों के कारण क्षेत्रों में अशांति बढ़ गई है, अपराध भी बढा है और यहूदियों , ईसाइयों पर धार्मिक दंगे बढ़े हैं।

अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवारों के बीच पहली डिबेट आयोजित हुई। इसमें सभी उम्मीदवारों ने हिस्सा लिया। किंतु डोनाल्ड ट्रंप ने हिस्सा नहीं लिया। इस बहस में सबसे ज्यादा प्रभावित भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी ने किया। इस डिबेट ने उनकी प्रसिद्धि से कुछ घंटों में ही उन्हें 3.71 करोड़ रुपए की फंडिंग भी मिल गई। इस डिबेट में हुए सर्वे में 28% ने माना कि विवेक रामास्वामी ने अपने विचार खुलकर रखे। इस सर्वे में रामास्वामी के बाद 27% के साथ रॉन डिसेंटिस दूसरे और 13% के साथ माइक पेंस तीसरे स्थान पर लोगों की पसंद हैं। न्यूयॉर्क टाइम्स ने कहा कि इसी डिबेट के दौरान रामास्वामी ने माना कि ट्रम्प अमेरिका में 21वीं सदी के सबसे बेहतरीन राष्ट्रपति रहे हैं।लेकिन ट्रम्प के समर्थक रामास्वामी को उप राष्ट्रपति प्रोजेक्ट कर रहे हैं।

डिबेट में अमेरिकी राष्ट्रपति उम्मीदवार

रिपब्लिकन पार्टी में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को 38 वर्षीय भारतवंशी विवेक गणपति रामास्वामी कड़ी चुनौती दे रहे पार्टी में पहले हिंदू उम्मीदवार हैं।

भारतवंशी विवेक गणपति रामास्वामी अपनी हिंदू आस्था और पहचान को गर्व के साथ प्रस्तुत करते हैं। अमेरिकी मीडिया से बातचीत में रामास्वामी ने भारत और अमेरिका के बीच संबंध, अमेरिका में प्रवासियों पर नीतियां, दुनिया में शक्ति का कई ध्रुवों में गोलबंदी और भारत के साथ विशेष रिश्ते में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर अपनी सोच को रखते हुए कहा कि मैं हिंदू धर्म को मानता हूं। यह मुझे मेरे परिवार से विरासत में मिला है। एक हिंदू होने के नाते मैं अन्य नेताओं के मुकाबले दूसरों की धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों की बेहतर ढंग से रक्षा कर सकता हूं। मेरा उद्देश्य अमेरिकी समाज में परिवार, आस्था और देशभक्ति के मूल्यों को स्थापित करना है।

अमेरिका में दिक्कत तब पैदा होती है जब धर्मनिरपेक्षता के नाम पर इन अलग-अलग विचारधाराओं को मानने वाले लोग और दूसरे धर्मों खास कर यहूदी, क्रिश्चियन और हिंदुओं के अस्तित्व को मानने से ही इनकार कर रहे हैं। सेक्युलरिज्म के तौर पर आज वोक्जिम (उदारवाद), ग्लोबलिज्म, ट्रांसजेंडरिज्म और यहां तक कि कोविडिज्म को मानने वाले लोग हो गए हैं।

अमेरिका यहूदी-ईसाई धर्म के मूल्यों पर स्थापित हुआ है। हिंदू धर्म की ही तरह यहूदी-ईसाई धर्म में भी त्याग, कर्म और विधि का विधान जैसी शिक्षाएं हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव उम्मीदवार की दौड़ के विवेक रामास्वामी ने कहा कि नरेंद्र मोदी एक बेहतरीन भारतीय प्रधानमंत्री हैं। भारत में गरीबी को हटाने के लिए उन्होंने फ्री मार्केट इकोनॉमी को अपनाया है। अमेरिका भी इसी रास्ते पर समृद्धि पा सका है। अमेरिका मोदी से ये सीख ले सकता है कि कैसे एक नेता अपनी राष्ट्रीय पहचान को सबसे ऊपर रखता है। अमेरिका में आज हमें ऐसे राष्ट्रपति की जरूरत है जो गर्व से अपनी राष्ट्रीय पहचान को सामने रख सके। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ऐसा करने में विफल रहे हैं।

रामास्वामी ने अमेरिका की चीन, रूस और विदेश नीति पर कहा कि हमें चीन को रोकना है तो अमेरिका को भारत का साथ जरूरी है। अंडमान निकोबार वाली बंगाल की खाड़ी और मलाका जलसंधि से चीनी जहाजों को रोकने के लिए हम भारत के साथ साझा रणनीति पर काम करेंगे। मैं राष्ट्रपति बना तो पहले ही कार्यकाल में इस पर काम शुरू कर दूंगा। मैं रूस का चीन से गठजोड़ तोड़ यूक्रेन युद्ध को भी खत्म कराऊंगा।

अपने बारे में जानकारी देते हुए रामास्वामी ने बताया कि उनका परिवार 40 साल पहले अमेरिका आया था। यहां उन्होंने अरबों डॉलर की कंपनियां बनाईं। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि अमेरिका में दुनिया के हर देश से आने वाले हर धर्म, रंग और नस्ल के लोगों को आने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। यही असल में अमेरिकन ड्रीम है। सभी को समान अवसर मिलने चाहिए। लेकिन अवैध प्रवासियों को एंट्री नहीं दी जानी चाहिए। अमेरिका की सीमाएं सुरक्षित करेंगे। (चित्र साभार सोशल मीडिया)

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