झारखंड-जनाधिकार-महासभा

झारखंड-जनाधिकार-महासभा

महासभा प्रतिनिधियों में शामिल एलिना होरो, पी एम टोनी, अलोका कुजूर, अनिल सिंह, लालमोहन सिंह व सिराज ने कहा कि आदिवासी-मूलवासियों के विरुद्ध नक्सल अभियान की आड़ में सुरक्षा बल द्वारा व्यापक हिंसा हो रही है। लेकिन हिंसा के विरुद्ध प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की जाती है। ऐसे अधिकांश मामलों में न तो पीड़ितों को मुआवज़ा मिला है और न ही दोषियों पर कार्यवाई हुई है।

रांची : झारखंड जनाधिकार महासभा 16जनवरी को एक प्रतिनिधिमंडल के साथ झारखंड गृह सचिव सह मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का से राज्य में आदिवासी- वंचितों के मानवाधिकार के लगातार हनन के मुद्दे पर चर्चा और ज्ञापन देने के लिए मुलाकात की।

झारखंड जनाधिकार महासभा प्रतिनिधियों ने प्रधान सचिव को चिरियाबेड़ा (पश्चिमी सिंहभूम) के आदिवासियों की CRPF द्वारा पिटाई व महिला के साथ छेड़खानी, अक्टूबर-नवम्बर माह में लातेहार में टाना भगतों व अन्य आदिवासियों के विरुद्ध पुलिसिया दमन व फ़र्ज़ी मामले, लातेहार के बरवाडीह के आदिवासी अनिल सिंह पर हिरासत में हिंसा, बोकारो के गोमिया में आदिवासियों पर माओवादी होने के आरोपों एवं UAPA की धाराओं अंतर्गत फ़र्ज़ी मामले, लातेहार के पिरी के ब्रम्हदेव सिंह की सुरक्षा बलों के द्वारा हत्या के 1.5 साल बाद भी दोषियों पर कार्यवाई लंबित आदि मामलों की विस्तृत जानकारी दी।

महासभा प्रतिनिधियों में शामिल एलिना होरो, पी एम टोनी, अलोका कुजूर, अनिल सिंह, लालमोहन सिंह व सिराज ने कहा कि आदिवासी-मूलवासियों के विरुद्ध नक्सल अभियान की आड़ में सुरक्षा बल द्वारा व्यापक हिंसा हो रही है। लेकिन हिंसा के विरुद्ध प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की जाती है। ऐसे अधिकांश मामलों में न तो पीड़ितों को मुआवज़ा मिला है और न ही दोषियों पर कार्यवाई हुई है। केवल संदेह के आधार पर या केवल माओवादियों को महज़ खाना खिलाने के लिए निर्दोष आदिवासी-वंचितों को माओवादी घटनाओं के मामलों में फ़र्ज़ी रूप से आरोपित किया जा रहा है। बिना ग्राम सभा की सहमति व लोगों से चर्चा किए ही गावों में सुरक्षा बलों के कैंप को जबरन स्थापित किया जा रहा है।

प्रतिनिधिमंडल ने गृह सचिव को झारखंड के प्रधान सचिव को ज्ञापन के साथ राज्य में मानवाधिकारों के हनन से सम्बंधित एक विस्तृत सूचि सौंपते हुए मांग की कि

  • सूचि के सभी मामलों में उचित कार्यवाई कर पीड़ितों को न्याय और मुआवज़ा व दोषियों के विरुद्ध कार्यवाई सुनिश्चित की जाए.
  • लोगों पर फ़र्ज़ी आरोपों पर मामला दर्ज करना पूरी तरह से बंद हो.
  • पांचवी अनुसूची क्षेत्र में किसी भी गाँव के सीमाना में सर्च अभियान चलाने से पहले एवं कैंप स्थापित करने से पहले ग्राम सभा व पारंपरिक ग्राम प्रधानों की सहमति ली जाए. बिना ग्राम सभा की सहमति के लगाए गए सुरक्षा बलों के कैंप को हटाया जाए.
  • स्थानीय पुलिस और सुरक्षा बलों को आदिवासी भाषा, रीति-रिवाज, संस्कृति और उनके जीवन-मूल्यों के बारे में प्रशिक्षित किया जाए और संवेदनशील बनाया जाए.
  • राज्य में UAPA व राजद्रोह धारा के इस्तेमाल पर पूर्ण रोक लगे.
  • सभी पत्थलगड़ी प्राथमिकियों में closure रिपोर्ट दर्ज कर उन्हें बंद किया जाए. टाना भगत के विरुद्ध मामलों को वापिस लिया जाए.
  • हिरासत में मौत के मामलों में दोषी पुलिस पदाधिकारियों पर न्यायसंगत करवाई की जाए, लंबित मामलों में चार्जशीट दाखिल कर जांच पूरी की जाए एवं सर्वोच्च न्यायालय के आदेश अनुरूप प्रत्येक थाने में cctv कैमरा लगाया जाए.
  • अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हाल के धार्मिक उन्माद व हिंसा के लिए ज़िम्मेवार दोषियों पर कार्यवाई हो, इन्हें न रोकने के लिए दोषी पुलिस कर्मियों के विरुद्ध कार्यवाई हो एवं हिंसा में मारे गए मृतक के परिवार को मुआवज़ा मिले.
  • यह सुनिश्चित किया जाए कि स्थानीय पुलिस संवैधानिक मूल्यों व कानून का पूर्ण पालन करते हुए किसी भी प्रकार के धार्मिक उन्माद और हिंसा के विरुद्ध सख्त कार्यवाई की जाए एवं सरकारी वकील द्वारा पीड़ितों के न्याय के लिए निष्पक्ष रूप से कार्य किया जाए.
  • निर्जीव पड़े हुए राज्य मानवाधिकार आयोग और महिला आयोग को पुनर्जीवित किया जाए और इस आयोग की कार्यप्रणाली जनता के लिए सुलभ हो.
  • महिलाओं के लिए एक सिंगल विन्डो शिकायत निवारण प्रणाली बनाई जाए जिससे महिलाएँ किसी भी प्रकार के शोषण की स्थिति में न्यूनतम दस्तावेजों के साथ शिकायत दर्ज कर सकें. प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का ने महासभा को संलग्न मांग पत्र पर कार्यवाई का आश्वासन दिया.

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