Israel

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तेल अवीव, 29 जुलाईः 2022: किसी व्यक्ति का देश के प्रति वफादारी और उस व्यक्ति की नागरिकता पर इजरायल Israel के सुप्रीम कोर्ट का हाल ही में सुनाया गया एक फैसला जिसे विवादित बनाया जा रहा है। इजरायल के सुप्रीम कोर्ट Supreme Court of Israel ने कहा है कि “अगर कोई व्यक्ति देश के प्रति वफादारी नहीं निभाता है तो उसकी नागरिकता छीन ली जा सकती है।” नागिरकता छीने जाने का आधार राष्ट्र के खिलाफ काम करने जैसे आंतकवाद, जासूसी या राजद्रोह बताया गया है। इजराईल उच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद से यह इल्जाम लगाया जा रहा है कि यह फैसला फिलिस्तीनी नागरिकों के के लिए सुनाया गया है।

इजरायली सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला 21 जुलाई 2022 को सुनाया है। इससे मानवाधिकार संगठनों को अब यह डर है कि अदालत का यह फैसला गैर-यहूदी नागरिकों पर ही थोपा जाएगा। यह फैसला इजरायल में 2008 के नागरिकता कानून के सन्दर्भ में दिया गया है। यह फैसला देश के प्रति वफादारी का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति या व्यक्तियों की नागरिकता आरोप के आधार पर रद्द करने का अधिकार देता है।

सूत्रों के अनुसार इजरायल में 20 फीसदी फिलिस्तीनी मुसलमान हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला इजरायल के दो फिलिस्तीनी नागरिकों के मामलों में अलग-अलग अपील के बाद आया, जिन्हें इजरायली नागरिकों पर हमले का दोषी पाया गया था। 2017 में इजरायल की एक क्षेत्रीय अदालत ने इन दो फिलिस्तीनी नागरिकों के अपराध के आधार पर इनकी नागरिकता रद्द करने का फैसला दिया था। जिसके बाद में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा।

इजरायल कोर्ट के इस फैसले के बाद से इजरायल में मुसलमानों के लिए काम करने वाले संगठनों में घोर नाराजगी व्यक्त किया है। एसोसिएशन फॉर सिविल राइट्स इन इजरायल यानी ACRI और अरब अधिकार संगठन Adalah ने इस फैसले की आलोचना की है। इन मानवाधिकार और मुस्लिम संगठनों ने अदालत के फैसले को भेदभावपूर्ण बताया और आशंका जताई कि इसका इस्तेमाल विशेष रूप से इजरायल के फिलीस्तीनी नागिरकों के खिलाफ किया जाएगा।

एक संयुक्त बयान में, अदाला और एसीआरआई ने घोषणा की कि “अदालत का यह निर्णय खतरनाक है क्योंकि यह अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करता है। इन संगठनों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्वीकार किया कि “ऐसा कोई कानून दुनिया के किसी भी अन्य देश में मौजूद नहीं है। यह कानून विशेष रूप से इज़रायल के फिलिस्तीनी नागरिकों के खिलाफ फैसले करने की अनुमति देगा।”

ACRI के अटॉर्नी ओडेड फेलर ने समाचार एजेंसियों से कहा कि “इजराइल में ऐसे कई मामले हैं जिसमें यहूदी नागरिकों ने आतंक में भाग लिया है। लेकिन एक बार भी आंतरिक मंत्रालय ने उनकी नागरिकता रद्द करने की अपील करने के लिए नहीं सोचा है।

अदाला और एसीआरआई ने अपने संयुक्त बयान में कहा कि “जब से इजरायल सरकार ने 2008 के राष्ट्रीयता कानून को लागू किया है तब से ऐसे 31 मामले सामने आए हैं जिसमें नागरिकता समाप्त करने पर विचार किया गया है। लेकिन इसमें सबसे हैरत की बात ये है कि इसमें से एक भी मामले में कोई भी यहूदी-इजरायल नागरिक शामिल नहीं है।”

अंतर्राष्ट्रीय राजनीति के कई वेशेषज्ञों का इजरयिली कोर्ट के फैसले पर टिप्पणी करते हुए कह कि “इजरायल इस कानून का उपयोग अपने क्षेत्र में जातीय सफाई के प्रयासों को और विस्तारित करने के लिए करने वाला है।” एमनेस्टी इंटरनेशनल Amnesty International के मुताबिक 1967 से सिर्फ पूर्वी यरुशलम में 14,000 से अधिक फिलिस्तीनियों को स्थायी निवास के अधिकार से वंचित कर दिया गया है, उन्हें जबरन शहर से विस्थापित कर दिया गया है।”

वैसे सिर्फ इजराइल ही नहीं दुनिया के कई देशों में ऐसे कानून हैं जिनके जरिए किसी खास मामले में दोषी पाए जाने पर किसी व्यक्ति की नागरिकता खत्म की सकती है। कई देश पिछले दो दशकों से अपने यहाँ ऐसे कानूनों का इस्तेमाल आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कर रहे हैं। वसे सरकारों की इन नीतियों पर काफी विवाद है। अंतर्राष्ट्रीय कानून किसी देश की सरकार को उसके नागरिकों की नागरिकता रद्द करने से रोकता है।

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