kalbe-Kabir

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– कल्बे कबीर

सांगानेर को सांगो बाबो

जयपुर को हनुमान

आम्बेर की शिला माता

ल्यायो राजा मान !

kalbe Kabir

जिन नव-हिंदुओं की भावनाएं मां काली के मुंह में सिगरेट का पोस्टर देखकर आहत हो रही है उनको शायद पता नहीं कि जयपुर के राजा मानसिंह द्वारा १६०४ में बांग्लादेश के जसौर से जिस महिषासुर मर्दिनी दुर्गा की काले पत्थर की मूर्ति को लाकर आंबेर में स्थापित किया गया था – उस पर मदिरा चढ़ाई जाती है। बिना मदिरा के शिला देवी प्रसन्न नहीं होतीं।

मदिरा ही नहीं, कभी यहां नरबलि का भी प्रचलन था। नरबलि जब बंद की गई तो शिला देवी नाराज़ हो गई थीं और अपना चेहरा मोड़ लिया था। उसके बाद पशुबलि दी जाती थी, जिसे अदालत के आदेश से १९७१ में बंद किया गया।

यहां गांव गांव में हर वर्ष जो रामलीलाएं होती हैं उनमें राम लक्ष्मण हनुमान की भूमिका करने वाले कलाकार बीड़ी/सिगरेट/चिलम पीते हुए रामलीला के अलावा भी मनोरंजन करते हैं। हिंदुस्तान के सारे बहुरूपिए हमारे देवताओं का हर रोज़ स्वांग निकालते हैं। हमारे देवताओं पर बहुत-सी मनोरंजक कथाएं बनी हुई हैं।

हिंदू धर्म उस तरह से धर्म नहीं है, जिस तरह इस्लाम, ईसाई और यहूदी धर्म है। हिंदू धर्म का कोई एक ईश्वर नहीं है। यहां तैंतीस कोटि के देवी देवता हैं। यहां आस्तिक भी हिंदू है और नास्तिक भी। हिंदू धर्म को डा. राधाकृष्णन ने ठीक ही जीवन शैली कहा था। यह कहीं ठहरती नहीं एक सनातन बहती धारा है।

हिंदू धर्म कोई एक आसमानी किताब नहीं है, हिंदू धर्म सदियों से सदियों तक एक होती हुई जिरह है एक होता हुआ संवाद है एक लिखी जा रही किताब है। एक सनातन/अनवरत उपनिषद !

हिंदू देवताओं का अपमान नामुमकिन है। हमारे सारे देवता अपमान-प्रूफ हैं। और न हिंदुओं की भावनाएं कोई आहत कर सकता है। जिन हिंदुओं की भावनाएं एक फ़िल्म पोस्टर से आहत हो जाए वह हिंदू नहीं हो सकता। वह या तो किसी पॉलिटिकल एजेंडा को आगे बढ़ाने वाला जड़-भक्त है या किसी न्यूज़ चैनल का मूर्ख एंकर/एंकरानी अथवा हिंदुत्व का अग्निवीर।

जिन कथित हिंदुओं की भावनाएं आहत हुई हैं उन्हें प्रसिद्ध बांग्ला पत्रिका देश के पिछले पचास वर्षों के दुर्गापूजा विशेषांकों के आवरण देखने चाहिए, जहां देश के विख्यात कलाकारों ने महिषासुर मर्दिनी को विभिन्न रूपों में चित्रित किया है। एक बार तो किसी कलाकार ने मां दुर्गा के हाथ में एके ४७ बन्दूक थमा दी थी। कोई बताए कि शिवलिंग को फव्वारा कहना शिवलिंग का अपमान कैसे हो गया ?

सच्चे हिंदुओं की भावना किसी भड़भूजे की भट्टी नहीं है, जिसे कोई भी ऐरा गैरा नत्थू खैरा भड़का दे !

#भड़कती_हुई_भावना १.

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1 thought on “सच्चे हिंदुओं की भावना किसी भड़भूजे की भट्टी नहीं है: कल्बे कबीर

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