नई दिल्ली : केंद्र सरकार के अनुसार, खरीफ दलहन की खेती पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष घट गई है। कृषि मंत्रालय भारत सरकार ने आंकड़े जारी कर बताया है कि 9 सितंबर तक देशभर में दलहन का रकबा 5 लाख हेक्टेयर से कम हुआ है। तीनों प्रमुख दलहन अरहर, उड़द और मूंग की खेती इस वर्ष घटी है. जिसके कारण तीनों की उपज घटने की आशंका है। गेहूं और चावल के बाद अधिकतर दालों की कीमतें बढ़ने लगी है।
इस समय सरकार खाने पिने की वस्तुओं के कीमतों में वृद्धि के कारण विपक्ष के द्वारा घेरी जा रही है। आम जनता में बढ़ती मंहगाई से गुस्से में है। और ठीक इसी समय राहुल गाँधी के नेतृत्व में कांग्रेस मंहगाई, gst जैसे मुद्दों को लेकर ‘भारत जोड़ो यात्रा‘ पूरे देश में कर रही है। जिसमे कांग्रेस को शुरुआती जन समर्थन भी मिल रहा है। आम लोग इस पदयात्रा में शामिल हो रहे हैं।
जनता और विपक्ष के बढ़ते दवाब को देखते हुए केंद्र सरकार ने जिस तरह चावलों के निर्यात पर रोक लगाया है। यह संभव है कि आने वाले दिनों में दालों के बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने के लिए केंद्र सरकार दालों के विदेशों में निर्यात पर भी रोक लगा सकती है।
केन्द्र सरकार ने चावल की कीमतों में बढ़ोतरी देख इस गुरुवार को बड़ा फैसला लिया था। सरकार ने गैर बासमती चावल के निर्यात पर 20 फीसदी टैक्स लगा दिया है और टूटे चावल के निर्यात पर भी रोक लगा दी है। सरकार ने अपने बयान में कहा कि सरकारी गोदामों में कम स्टॉक, धान के रकबे में आई कमी और चावल के रिकॉर्ड एक्सपोर्ट की वजह से इसके निर्यात पर टैक्स लगाना जरुरी हो गया था। अप्रैल से जुलाई में इस वर्ष में 73 लाख टन से ज्यादा चावल का एक्सपोर्ट हो चुका है।
इस साल दलहन का रकबा काफी कम हुआ है और देश से दालों का निर्यात 4 गुना से ज्यादा बढ़ गया है। इस वर्ष अप्रैल से जुलाई के दौरान देश से 3.25 लाख टन दलहन का निर्यात हो चुका है। जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 337 फीसदी ज्यादा है। (चित्र साभार गूगल)