चेन्नई : तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में 2 सितंबर २०२३ को थेनमपेट में तमिलनाडु प्रोग्रेसिव राइटर्स आर्टिस्ट एसोसिएशन के सनातन ओज़िप्पू मानाडू यानी सनातन को समूल ख़त्म करने के लिए सम्मेलन के एक कार्यक्रम में राज्य के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन का बेटा और सरकर में मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने अपने भाषण में सनातन धर्म समूल नष्ट करने का एक बयान दिया – “सनातन को ख़त्म करने के सम्मेलन में बोलने का मौक़ा देने के लिए मैं आयोजकों का धन्यवाद करना चाहूंगा। मैं उन्हें बधाई देना चहूंगा कि उन्होंने सम्मेलन का शीर्षक ‘सनातन को ख़त्म करना’ रखा, न कि ‘सनातन का विरोध करना’। हमारा पहला काम सनातन को हटाना है न कि केवल उसका विरोध करना। सनातनम नाम संस्कृत से आया है, सनातनम समानता और सामाजिक न्याय का विरोध करता है। इसका मतलब है वो चीज़ जो स्थायी हो यानी ऐसी चीज़ जो कभी न बदली जा सके, जिस पर कोई सवाल न उठाए। यही सनातन का अर्थ है।”
द्रविड़ मुन्नेत्रकज़गम DMK नेता और तमिलनाडु सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने ‘सनातन धर्म को मिटाने’ के मुद्दे को लेकर हो रहे एक सम्मेलन में कहा ‘सनातन धर्म मलेरिया डेंगू की तरह है जिसे मिटाना ज़रूरी है।’ उदयनिधि प्रदेश के युवा मामलों और खेल मंत्री के अलावा, फ़िल्म लेखक, निर्देशक और अभिनेता भी हैं।
उन्होंने कहा, “ऐसी कुछ चीज़ें होती हैं जिनका विरोध करना काफी नहीं होता, हमें उन्हें समूल मिटाना होगा। मच्छर, डेंगू बुख़ार, मलेरिया, कोरोना ये ऐसी चीज़ें हैं जिनका हम केवल विरोध नहीं कर सकते हमें इन्हें मिटाना होगा। सनातन भी ऐसा ही है।”
बीजेपी नेता अमित मालवीय ने उदयनिधि का वीडियो क्लिप ट्वीट किया और लिखा, “उन्होंने सनातन की तुलना मलेरिया और डेंगू से की है… उनका मानना है कि इसका केवल विरोध नहीं होना चाहिए बल्कि इसे पूरी तरह से मिटा दिया जाना चाहिए। संक्षेप में कहें तो, वो भारत की 80 फीसदी उस आबादी के नरसंहार की बात कर रहे हैं, जो सनातन धर्म का पालन करती है।”
BJP नेता ने लिखा- “डीएमके विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन की एक महत्वपूर्ण सहयोगी पार्टी है और लंबे वक्त से कांग्रेस की सहयोगी पार्टी रही है। मुंबई में विपक्षी दलों की जो बैठक हुई थी क्या उसमें यही सहमति बनी थी?”
तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के अन्नामलाई ने सोशल मीडिया पर स्टालिन परिवार पर कहा कि गोपालपुरम के इस परिवार का संकल्प केवल धन इकट्ठा करना है। आप, आपके पिता या आपके या उनके विचारकों ने ईसाई मिशनरियों से ये विचार लिया है। उन मिशनरियों का विचार आपके जैसे लोग बनाना था जो दुर्भावनापूर्ण विचारधारा को बढ़ावा दे सकें।”
वहीं राम जन्मभूमि के मुख्य महंत आचार्य सत्येंद्र दास ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा कि सनातन धर्म आदि से चला आ रहा है और अंत तक चलेगा। सनातन धर्म सदियों से चला आ रहा है। उसी से सारे धर्मों और पंथों की उत्पत्ति हुई है। आगे भी ये ऐसा ही रहेगा, इसे किसी क़ीमत पर मिटाया नहीं जा सकता। चाहे उदयनिधि के साथ अनेकों क्यों न आ जाएं। उदयनिधि सनातन का सही अर्थ नहीं समझ पाए हैं, इसी कारण वो इसके उन्मूलन की बात कर रहे हैं। वो जो कह रहे हैं वो पूरी तरह ग़लत है।”
उदयनिधि के सांप्रदायिक घृणा को बढ़ानेवाले इस बयान पर राजनितिक दलों के साथ आम नागरिकों और सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया शुरू हो गयी है। जिसके बाद उदयनिधि ने सोशल मीडिया पर सफाई देते हुए कहा कि वह सनातन धर्म माननने वालों के नरसंहार की बात नहीं की है। मैंने कभी भी सनातन धर्म का पालन करने वालों के नरसंहार की अपील नहीं की। सनातन धर्म एक ऐसा सिद्धांत है जो जाति और धर्म के नाम पर लोगों को बांटता है। सनातन धर्म को जड़ से उखाड़ना मानवता और समानता को कायम रखना है। मैं अपने बयान पर कायम हूं। मैंने सनातन धर्म के कारण उत्पीड़न सह रहे लोगों और हाशिये पर खड़े लोगों के प्रतिनिधि के तौर पर ये बातें कही हैं। मैं सनातन धर्म और समाज पर उसके नकारात्मक असर पर किए पेरियार और आंबेडकर के गहन शोध को आपके सामने रखने के लिए तैयार हूं। मैं अपने भाषण का महत्वपूर्ण हिस्सा दोहरा देता हूं- मैं मानता हूं कि जिस तरह बीमारी फैलाने के लिए कोविड-19, डेंगू और मलेरिया ज़िम्मेदार हैं उसी तरह कई सामाजिक कुरीतियों के लिए सनातन ज़िम्मेदार है। मैं आने वाली किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हूं, चाहे वह अदालत में हो या जनता की अदालत में।”
उदयनिधि के भाषण पर लीगल एक्टिविज़्म से जुड़े संगठन लीगल राइट्स ऑब्ज़र्वेटरी ने लिखा कि वो मामले को कोर्ट तक लेकर जाएगी। किसी और के उकसावे पर सनातन धर्म को अपमानित करने वालों को हम मच्छरों की तरह मिटा देने के लिए क़ानूनी विकल्पों की तलाश करेंगे। उदयनिधि को माफ नहीं किया जाएगा।”
इसके जबाव में उदयनिधि ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “इस तरह के आम भगवा धमकियों से हम डरने वाले नहीं हैं। हम पेरियार, अन्ना और कलाइनार के अनुयायी हैं और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व में हम सामाजिक न्याय के लिए और समतावादी समाज की स्थापना के लिए हमेशा लड़ते रहेंगे। मैं हमेशा यही कहता रहूंगा कि द्रविड़ भूमि से सनातन धर्म को रोकने का हमारा संकल्प कभी कम नहीं होगा।”