चंडीगढ़, 18 जुलाई 2022: संगरूर के सांसद सिमरनजीत सिंह मान शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष हैं, इन्होने शहीद भगत सिंह को ‘आतंकवादी’ कहा है। मामला संगरूर सांसद के दादा अरूर सिंह का है, जिन्हें हमेशा से ही सिख इतिहास में एक काला अध्याय माना जाता रहा हैं। संगरूर के मौजूदा सांसद सिमरनजीत सिंह मान अपने दादा के कृत्य के बचाव के बारे में बोलना चाह रहे थे, लेकिन इस दौरान वे शहीद भगत सिंह को आतंकवादी कहा और खालिस्तान का समर्थन किया।
अरूर सिंह स्वर्ण मंदिर के तत्कालीन सरबराह थे। उस समय पूरा देश अंग्रेजी साम्राज्य के जलियांवाला बाग हत्याकांड की आग में झुलस रहा था। जलियांवाल बाग में हिन्दुस्तानियों की अंग्रेजों द्वारा हत्याकांड के बाद संगरूर के मौजूदा सांसद सिमरनजीत सिंह मान के दादा अरूर सिंह ने वर्ष 1919 में अकाल तख्त में जनरल रेजिनाल्ड डायर को ‘सिरोपा’ से सम्मानित किया था। अरूर सिंह ने जनरल डायर को स्वर्ण मंदिर में आमंत्रित किया और उन्हें ‘सिख’ घोषित करते हुए ‘सिरोपा’ से सम्मानित किया। जिसके बाद सिख समुदाय अरूर सिंह को हमेशा के लिए एक काला अध्याय मानते हैं।
संगरूर सांसद ने एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान शुक्रवार को ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स हत्याकांड का जिक्र करते हुए कहा कि भगत सिंह एक ‘आतंकवादी’ थे। क्योंकि उन्होंने विधानसभा में बम फेंकने के दौरान एक ‘अमृतधारी सिख’ पुलिस कांस्टेबल चन्नन सिंह को भी मार डाला था। शहीद भगत सिंह को लेकर मान की इसी टिप्पणी ने एक बार फिर औपनिवेशिक शासन के दौरान ब्रिटिश वफादारों और उनके दादा अरूर सिंह के कुकृत्य पर विवाद खड़ा कर दिया है।
संगरूर सांसद सिमरनजीत सिंह मान ने कहा कि उनके दादा ने जनरल डायर को उनके गुस्से को शांत करने के लिए सम्मानित किया क्योंकि अंग्रेज अमृतसर में हवाई बमबारी करना चाहते थे। मान ने दावा करते हुए कहा कि अरूर सिंह ने खालसा कॉलेज के तत्कालीन प्रिंसिपल जीए वाथेन की सलाह पर स्वर्ण मंदिर को बमबारी से बचाने के लिए ऐसा किया था।
दिल्ली के प्रोफेसर मोहिंदर सिंह ने अपनी पुस्तक ‘द अकाली मूवमेंट’ में अरूर सिंह और जनरल डायर के बीच की बातचीत को विस्तार से सामने रखा है। प्रोफेसर सिंह ने लिखा ‘जब देश जलियांवाला बाग हत्याकांड की निंदा करने में व्यस्त था और सदमे, आतंक और घबराहट की लहर में घिरा हुआ था, अरूर सिंह ने जनरल डायर को स्वर्ण मंदिर में आमंत्रित किया और उन्हें ‘सिख’ घोषित करते हुए ‘सिरोपा’ से सम्मानित किया।”।
प्रो. सिंह ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि अरूर सिंह की अपवित्र कार्रवाई ने ब्रिटिश समर्थक सिख नेताओं के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया। सरकार द्वारा नामित सरबराह और ब्रिटिश अधिकारियों के हाथों अपने प्रमुख मंदिर के सकल दुरुपयोग ने अकाली संघर्ष के लिए मंच तैयार किया। पुजारियों ने जनरल डायर से कहा कि साहब, आपको एक सिख बनना चाहिए। जनरल ने उन्हें धन्यवाद दिया, और कहा कि वह एक ब्रिटिश अधिकारी के रूप में अपने बाल लंबे नहीं बढ़ा सकते। बातचीत में जनरल डायर ने कहा कि मैं धूम्रपान नहीं छोड़ सकता। अरूर सिंह ने कहा कि आपको यह नहीं करना चाहिए। जनरल ने कहा कि मुझे बहुत खेद है, लेकिन मैं धूम्रपान नहीं छोड़ सकता। मैं वादा करता हूं कि इसे एक साल में प्रति सिगरेट की दर से धीरे-धीरे छोड़ दूंगा’।