Putin-and-China.

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नई दिल्ली, 30 जुलाई 2022: युक्रेन युद्ध से रूस को यूरोप और दुनिया के बाकि देशों से अलग करने में अमेरिका को बहुत मदद मिली। अमेरिका ने अपने साथ व्यापार करने वाले देशों को रूस के साथ सारे सम्बन्ध तोड़ लेने की चेतावनी दी नहीं तो सजा भूगतने की बात कही।

वहीँ भारत ने अपने देश की स्वतंत्र निति का हवाला दे कर रूस के साथ तेल का आयात जारी रखा। जिससे रूस को अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में मजबूत पक्ष बनाये रखा। अमेरिका ने साथी देशों के साथ मिलकर रूस पर बैन लगाया।

एनर्जी इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के अनुसार रूस डॉलर के बजाय चीन की मुद्रा युआन और संयुक्त अरब अमीरात UAE की मुद्रा दिरहम में तेल बेचने की निति पर काम कर रहा है।

रूस चाहता है कि अमेरिकी डॉलर की बादशाहत को कम करने के लिए अमिरिका से चोट खाए देशों का एक गुट बनाया जाये और इस गुट के देश आपस में अपने मुद्राओं के साथ तेल निर्यात करे और अमेरिकी डॉलर में भुगतान को खत्म कर दिया जाय। इसी निति के तहत रूस चीनी मुद्रा युआन और यूएई की मुद्रा दिरहम में तेल बेचने का फैसला लिया है।

रूस अपने साथ व्यापार में भारतीय रुपये पर भी विचार किया, रूस तेल कारोबार के लिए भारतीय रुपये का भी इस्तेमाल करना चाहता है। किन्तु रूस के प्रस्ताव पर भारत सरकार के अधिकारियों का फैसला है कि ‘भारत को विदेशी व्यापार के लिए इतनी बड़ी संख्या में भारतीय रुपये की जरूरत नहीं है। भारत सरकार के फैसले पर रूस का प्रस्ताव है कि भारत चीनी मुद्रा युआन में कारोबार करे, किन्तु भारत तैयार नहीं हुआ है।

तेल इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों का कहना है कि रूस ने तेल निर्यातकों से अमेरिकी डॉलर के बजाए युआन और दिरहम में तेल बेचना शुरू करने के लिए कहा है। रूस इस निति की शुरुआत अगले महीने से कर सकता है। रूस-भारत के बीच व्यापार में भारतीय रुपये के इस्तेमाल पर अभी तक कोई फैसला नहीं हो पाया है। रूस अपने ऊपर लगे प्रतिबंधों के प्रभावों को कम करने के लिए इसे तत्काल शुरू करना चाहता है।

रूस के प्रधानमंत्री मिशुस्तीन की अध्यक्षता में एनर्जी इंडस्ट्री के साथ सरकार की 26 जुलाई की बैठक हुई थी, जिसमे रूस की इच्छा है कि भारत तेल कारोबार में चीनी मुद्रा युआन का इस्तेमाल करे। इससे रूस को आयात के लिए डॉलर पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी और नई मुद्राओं में कारोबार करने में मदद भी मिलेगी। बैठक में रूस ने कहा कि उसकी सरकार एक नई बजट नीति पर काम कर रही है, जिसमें आयात-निर्यात के लिए मित्र राष्ट्रों की मुद्राओं का इस्तेमाल किया जाएगा। 

पिछले हफ्ते अपनी रिपोर्ट में रॉयटर्स ने बताया था कि जुलाई महीने में भारतीय तेल कंपनियों को तेल निर्यात करने वाली रूस की सरकारी तेल कंपनी रोसनेफ्ट की ट्रेडिंग कंपनियों ने अमेरिकी डॉलर के बराबर दिरहम का भुगतान करने को कहा था।

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