शब्द्सृष्टि

शब्द्सृष्टि

पुणे :शब्दसृष्टि’ प्रतिष्ठान की सहसंस्थापक व पत्रिका की संस्थापक-संपादक तथा हिंदी की चर्चित लेखिका, कवयित्री, समीक्षक व अनुवादक के रूप में सुपरिचित स्मृतिशेष डॉ.विजया के पचहत्तरवें जन्मदिन ‘अमृत महोत्सवी वर्ष’ के अवसर पर शब्दसृष्टि की परामर्शदाता तथा ज्येष्ठ लेखिका व विख्यात हिंदी कथाकार डॉ. सूर्यबाला जी के करकमलों द्वारा “विजयिता” (डॉ.विजया का चुनिंदा रचना-संसार) ग्रंथ का प्रकाशन हुआ। इस अवसर पर शब्दसृष्टि के परामर्शदाता तथा ज्येष्ठ पत्रकार व “नवनीत” हिंदी मासिक पत्रिका के संपादक श्री विश्वनाथ सचदेव जी द्वारा “डॉ.विजया स्मृति अंतरराष्ट्रीय अनुवाद एवं अनुसंधान केंद्र” का उद्घाटन हुआ।

समारोह का अध्यक्षस्थान शब्दसृष्टि के परामर्शदाता तथा ज्येष्ठ अनुवादक प्राचार्य श्रीप्रकाश अधिकारी जी ने विभूषित किया। इस समारोह में प्रमुख अतिथि के रूप में शब्दसृष्टि के प्रमुख परामर्शदाता तथा हिंदी-मराठी के सांस्कृतिक सेतु अनुवाद तपस्वी श्री प्रकाश भातम्ब्रेकर जी उपस्थित थे।

श्रेष्ठ अनुवादक तथा शब्दसृष्टि के परामर्शदाता प्रो.डॉ.गजानन चव्हाण जी ने शब्दसृष्टि प्रतिष्ठान व मनोहर मीडिया की ओर से स्मृतिशेष डॉ.विजया जी के पचहत्तरवें जन्मदिन 28जनवरी के अवसर पर अमृत महोत्सवी वर्ष में आयोजित ग्रंथ प्रकाशन व केंद्र उद्घाटन समारोह में अपने वक्तव्य में कहा कि राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भाषावैविध्य के यथार्थ ने अनुवाद-कार्य का महत्त्व पहले ही सिद्ध किया है। इन दोनों स्तरों पर उत्तरोत्तर वृद्धिंगत होते हुए परस्पर संपर्क ने अनुवाद की आवश्यकता को और भी विकसित किया है। यही कारण है कि वर्तमान काल को ‘अनुवाद युग’ कहा जाता है। ‘जो भी हवा चलती है, वह अनुवाद से गुजरती है’ कहकर अनुवाद-क्षेत्र की व्यापकता और सार्वत्रिकता को अधोरेखित किया जा सकता है”। डा.गजानन चव्हाण ने प्रसन्नता जाहीर की और कहा कि “डॉ.विजया स्मृति अंतरराष्ट्रीय अनुवाद एवं अनुसंधान केंद्र” की स्थापना कर शब्दसृष्टि परिवार ने इस क्षेत्र में कार्य हेतु अनुवादकर्ता तथा अनुवाद-अध्येताओं के लिए व्यापक अवसर के द्वार खोल दिए हैं

समारोह के प्रारंभ में स्मृतिशेष हुए शब्दसृष्टि के परामर्शदाता तथा ज्येष्ठ साहित्यिक, समीक्षक, संशोधक आदरणीय डॉ.नागनाथ कोत्तापल्ले जी को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की।

शब्दसृष्टि के संस्थापक-अध्यक्ष व मनोहर मीडिया के संचालक तथा विजयिता ग्रंथ के मुख्य संपादक प्रा.डॉ.मनोहर जी ने अपने प्रास्ताविक में कहा कि “डॉ.विजया अमृत महोत्सवी वर्ष” का यह प्रथम समारोह है। जिसमें “विजयिता”, “डॉ.विजया स्मृति अंतरराष्ट्रीय अनुवाद एवं अनुसंधान केंद्र का उद्घाटन तथा “डॉ.विजया स्मृति जीवन गौरव सम्मान” प्रदान सम्मिलित है। इस वर्ष में उनका संपूर्ण साहित्य “दस खंडात्मक डॉ. विजया समग्र” रूप में प्रकाशित होगा। इसके पश्चात उन्होंने डॉ.विजया जी के जीवन व साहित्य यात्रा पर विस्तृत प्रकाश डाला।

विजयिता ग्रंथ का प्रकाशन करते हुए डॉ.सूर्यबाला ने डॉ.विजया के संदर्भ में अपने अनुभव कथन किए और उनकी समीक्षात्मक दृष्टि पर प्रकाश डाला।’अंतरराष्ट्रीय अनुवाद व अनुसंधान केंद्र’ का उद्घाटन करते हुए श्री विश्वनाथ सचदेव ने केंद्र की संभाव्य गतिविधियों के संदर्भ में सटीक मार्गदर्शन के साथ केंद्र की उर्जितावस्था व सफलता के लिए शुभकामनाएं प्रेषित की।

विजयिता ग्रंथ पर प्रो.डॉ. उषा मिश्रडॉ.श्यामसुंदर पांडेय ने अपने समीक्षात्मक वक्तव्य प्रस्तुत किया। केंद्र व पत्रिका के संदर्भ में उनकी भूमिका में केंद्र के सहनिदेशक प्रशांत देशपांडे ने प्रस्तुत की।

समारोह के अध्यक्ष प्राचार्य श्रीप्रकाश अधिकारी ने समयोचित वक्तव्य देते हुए डॉ.विजया के कर्तृत्व पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर शब्दसृष्टि के प्रमुख परामर्शदाता श्री प्रकाश भातम्ब्रेकर जी के द्वारा डॉ.प्रेरणा उबाळे प्रशांत देशपांडे को “उपनिदेशक” पद के नियुक्ति पत्र प्रदान किया गया।

श्री-प्रकाश-भातम्ब्रेकर-जी-के-द्वारा-डॉ.प्रेरणा-उबाळे-नियुक्ति-पत्र-ग्रहण-करते-हुए
श्री-प्रकाश-भातम्ब्रेकर-जी-के-द्वारा-डॉ.प्रेरणा-उबाळे-नियुक्ति-पत्र-ग्रहण-करते-हुए

अतिथियों का स्वागत डॉ.हूबनाथ पांडेय ने व आभार-ज्ञापन डॉ.प्रेरणा उबाळे जी ने किया तथा संपूर्ण समारोह का सूत्र-संचालन “शब्दसृष्टि” के न्यासी-कार्याध्यक्ष व “विजयिता” ग्रंथ के संपादक प्राचार्य मुकुंद आंधळकर द्वारा कुशलतापूर्वक किया गया तथा शब्दसृष्टि की न्यासी-मानद सचिव व विजयिता ग्रंथ की संपादक सुश्री आशा रानी जी ने “संपादकीय मनोगत” के साथ-साथ “सम्मानपत्र वाचन” किया।

इस समारोह का तकनीकी संयोजन समन्वयन शब्दसृष्टि प्रतिष्ठिन के उपाध्यक्ष व पत्रिका के डिजिटल संपादक डॉ.अनिल गायकवाड तथा डॉ.शेखर चक्रबर्ती ने किया। इस समारोह में अनुवाद जगत की मननीय हस्तियां तथा शोध छात्र-छात्राएं तथा अभ्यासकों ने उपस्थित रहकर समारोह की शोभा बढ़ायी।(प्रेस विज्ञप्ति:डॉ. प्रेरणा उबाळे, अध्यक्ष, हिंदी विभाग, मॉडर्न महाविद्यालय (स्वायत्त), पुणे)

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