लखनऊ, 18 जुलाई 2022: लखनऊ के नए लुलु मॉल के भीतर नमाज पढ़ने के बढ़ते विवाद के बाद लुलु मॉल के क्षेत्रीय निदेशक जय कुमार गंगाधर ने बयान जारी कर कहा कि “लुलु मॉल पूर्णतया व्यावसायिक प्रतिष्ठान है। जो बिना किसी जाति, मत या वर्ग का भेद किए व्यवसाय करता है। कुछ अराजकतत्वों ने प्रतिष्ठान को निशाना बनाने का प्रयास किया है। प्रतिष्ठान में 80 प्रतिशत से अधिक हिंदू हैं व शेष में मुस्लिम, ईसाई व अन्य वर्गों के लोग हैं। प्रतिष्ठान में किसी भी व्यक्ति को धार्मिक गतिविधि संचालित करने की छूट नहीं है”।
लुलु मॉल के भीतर नमाज पढ़ने के मामले में जो बात सामने आ रही है कि लुलु मॉल के CCTV के अनुसार 12 जुलाई को जो लोग लुलु मॉल के अंदर नमाज पढ़ते दिख रहे हैं, वे केवल नमाज पढ़ने के लिए ही वहां आए थे। इनके साथ एक व्यक्ति नमाज का वीडियो बनाने के लिए भी आया था।
लखनऊ पुलिस को आशंका है कि यह विवाद जानबूझकर खड़ा किया गया जिससे माहौल को खराब किया जा सके। मॉल के स्टाफ ने पुलिस को बताया कि नमाज पढ़ने वाले लोग पहले ग्राउंड फ्लोर पर नमाज पढ़ना चाहते थे। लेकिन वहां पर सिक्योरिटी और लोगों की भीड़ को देखते हुए वह ऊपरी माले पर पहुंचे और उन्होंने वहां पर एक खाली जगह देकर नमाज पढ़ा। उन्होने सात से आठ मिनट नमाज नहीं पढ़ी और न ही नमाज पढ़ने में उन्होने दिशा के नियम का पालन किया, 18 सेकंड में उनका नमाज निपट गया। उन्होने खुद ही अपनी इस हरकत का वीडियो बनाया और उसे लुलु मॉल में नमाज के नाम से वायरल कर दिया।
लुलु मॉल में पढ़ी गयी नमाज को अब बहुसंख्यक मुस्लिम भी इसे नमाज ही मान रहा हैं सोशल मीडिया पर आमीन सुम्मामीन कर रहा है। शोसल मीडिया पर अब इस विवाद पर टिपण्णी आ रही है कि “जब ऐसा ही है तो देश के तमाम मौलवी और उलेमाओ को तुरंत एक बैठक बुलाना चाहिए और 18 सेकंड की इस स्पेशल नमाज के पक्ष में एक फतवा निकाल देना चाहिए इसे चाहे तो ‘स्पेशल लुलु नमाज’ का नाम दिया जा सकता है”।