शुनशेप के हिंदी अनुवाद का विमोचन

शुनशेप के हिंदी अनुवाद का विमोचन

पुणे : मराठी के श्रेष्ठ लेखककवि वसंत आबाजी डहाके कृत ‘शुन:शेप’ कविता-संग्रह का डॉ. प्रेरणा उबाळे ने हिंदी में अनुवाद किया है। मॉडर्न महाविद्यालय के हिंदी विभाग की प्रमुख डॉ. प्रेरणा उबाळे के इस ‘शुन:शेप’ शीर्षक अनूदित कविता-संग्रह का विमोचन समारोह 20 अप्रैल 2023 को महाराष्ट्र साहित्य परिषद् पुणे के माधवराव पटवर्धन सभागार में संपन्न हुआ।

पुस्तक का विमोचन पुणे के रहनेवाले हिंदी के सुप्रतिष्ठित लेखक-कवि व अनुवादक तथा भारत सरकार की केंद्रीय हिंदी समिति के अध्यक्ष डॉ. दामोदर खडसे, पुणे के रहने वाले विख्यात हिंदी-मराठी लेखक व अनुवादक डॉ. सुनील देवधर, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के मराठी विभाग के अध्यक्ष और पूर्व प्रोफ़ेसर प्रो. डॉ. मनोहर जाधव, सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय, पुणे के हिंदी विभाग पूर्व प्रोफेसर प्रो. गजानन चव्हाण के करकमलों से बहुत शानदार रूप में संपन्न हुआ।

डॉ. प्रेरणा उबाळे ने शुन:शेप के अनुवाद के अपने अनुभव बांटते हुए कहा कि इस अनुवाद की सफलता का श्रेय कवि वसंत आबाजी डहाके को प्रदान कर रही हूं। डहाके जी द्वारा सप्रसंग कविताओं की व्याख्या करने और अनुवाद करने हेतु दी गई स्वतंत्रता के कारण ही मैं इस संपूर्ण कविता-संग्रह के अनुवाद का आनंद ले पाई।

इस प्रसंग पर कवि वसंत आबाजी डहाके ने कवितासंग्रह के हिंदी अनुवाद की प्रशंसा करते हुए कहा कि काव्यानुवाद साहित्य की अन्य सभी विधाओं के अनुवाद से अधिक कठिन है। उनकी कविताओं में निहित दृश्यों, चित्रों, बिंबों-प्रतिबिंबों, जटिलता को समझना कठिन है। परंतु डॉ. प्रेरणा ने कविताओं का अनुवाद अत्यंत समतुल्य रूप से किया है। उनके द्वारा किया अनुवाद, अनुवाद नहीं लगता बल्कि मूल हिंदी की ही कविताएँ लगती हैं। इसलिए वे अत्यंत बधाई की पात्र हैं !

हिंदी लेखक डॉ. दामोदर खडसे ने भी डॉ. प्रेरणा उबाळे द्वारा किया अनुवाद को अत्यंत प्रवाहपूर्ण बताया तथा वसंत आबाजी डहाके जी के कविता-संग्रह का अनुवाद पहली बार हिंदी में होने के कारण बधाई दी। इस अवसर पर डॉ. मनोहर जाधव ने अनुवाद के संदर्भ में अपने अनुभव बताए। साथ ही मराठी की एक सर्वश्रेष्ठ रचना का हिंदी में अनुवाद होने की प्रसन्नता भी व्यक्त किया। प्रो. डॉ. गजानन चव्हाण ने “शुन:शेप” के अनुवाद में अनुवादक की सर्जनात्मकता के गुण निहित होने की बात कही। साथ ही डॉ. सुनील देवधर ने कविताओं की प्रासंगिकता और महत्त्व पर प्रकाश डाला और अनूदित कविता-संग्रह की ‘आनेवाले आये ही नहीं, सहसा, तुम्हारे और मेरे बीच’ इन कविताओं का अभिवाचन कर कार्यक्रम को अधिक सुंदर बनाया। कवि वसंत आबाजी डहाके ने ‘मुलं हसताहेत’ मराठी कविता पढ़कर सुनाई और उसके बाद और डॉ. प्रेरणा उबाले ने उस कविता का अनुवाद ‘बच्चे हँस रहे हैं’ तथा इसके अतिरिक्त  ‘नकारना, पीछे देवी और सामने समुद्र, परिस्थिति’ आदि कविताओं का अभिवाचन कर उन कविताओं की कालातीतता का विश्लेषण किया। उपस्थित श्रोताओं ने इसे बहुत सराहा।

शुन:शेप के विमोचन समारोह में उपस्थित सभी मान्यवरों ने अपने वक्तव्यों में यह आकांक्षा व्यक्त की कि डॉ. प्रेरणा उबाले अधिकाधिक अनुवाद कार्य कर हिंदी और मराठी दोनों भाषाओं में अपना योगदान दें और पाठकों को समृद्ध करें। शुन:शेप अनुवादित कविता-संग्रह का प्रकाशन कार्य शिल्पायन प्रकाशन, दिल्ली और वर्णमुद्रा प्रकाशन, शेगाव-महाराष्ट्र के सहयोग से हुआ है।

महाराष्ट्र साहित्य परिषद् में संपन्न इस अनूदित पुस्तक के विमोचन समारोह में मॉडर्न महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजेंद्र झुंजारराव, उपप्राचार्य डॉ. विजय गायकवाड, हिंदी-मराठी साहित्य जगत के मंगेश नारायणराव काळे, डॉ. गोरख थोरात, डॉ. ओमप्रकाश शर्मा, डॉ. निलय उपाध्याय, इंदिरा पूनावाला, विवेक काटीकर, समीक्षा तेलंग, अमिताभ आर्य, महाराष्ट्र साहित्य परिषद् के मिलिंद जोशी, डॉ. ओंकारनाथ शुक्ला आदि मान्यवरों ने अपनी उपस्थिति दर्शायी। हिंदी विभाग, मॉडर्न महाविद्यालय के प्रा. असीर मुलाणी, प्रा. संतोष तांबे और हिंदी विभाग के छात्रों ने उपस्थिति दर्शा कर समारोह की शोभा बढ़ाई।

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