PM Modi in a meeting on New labour code

PM Modi in a meeting on New labour code

नई दिल्ली, 27 अगस्त 2022: कांग्रेस ने अपने शासनकाल में श्रम कानूनों में सुधार का एक सत्र पूरा कर लिया था। वर्ष 2014 में देश की केन्द्रीय सत्ता में आने के बाद भाजपा ने पूरे श्रम कानून में सुधार का एक नया दौर शुरु किया। जिसके तहत कई क़ानूनी प्रावधानों की समाप्त कर सिर्फ कुछ नियमों में समेट दिया गया है। 29 विभिन्न अधिनियमों को चार नए लेबर कोड में तब्दील कर दिया गया है। आपराधिक प्रावधान वाले कानूनों को 1,500 से घटाकर सिर्फ 22 इंडस्ट्रियल रिलेशंस रिलेशंस कोड में शामिल कर दिया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए श्रम-सुधारों पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के श्रम मंत्रियों के दो दिवसीय सम्मेलन को 26 अगस्त 2022 को ऑनलाइन संबोधित किया। इस सम्मेलन का आयोजन केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की ओर से 25 अगस्त को आंध्र प्रदेश के तिरुपति में किया गया। श्रम संबंधी विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हुए नए लेबर कोड के संकेत पीएम मोदी ने दिए। 

कांग्रेस शासन के समय से ही नए लेबर कोड (New Labour Code) पर काम चल रहा है। भाजपा इसे आगे बढ़ाते हुए अब इसे लागू करने की बात कह रही है। हालांकि कई डेडलाइन बीतने के बावजूद ये लागू नहीं हुआ है। 15 अगस्त को लाल किले से अपने संबोधन में पीएम ने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य तय किया था।

कोरोना काल (Covid) में होने वाले लॉकडाउन के दौरान नौकरियों और कंपनियों को बचाने में वर्क फ्रॉम होम (Work From Home) ने बड़ा रोल निभाया था। इससे, वर्क फ्रॉम होम की वजह से लोग काम करते रहे, उनकी नौकरियां बची रहीं और कंपनियों के कामकाज पर कम असर हुआ। इसका सबसे ज्यादा फायदा IT सेक्टर के लाखों कर्मचारियों को मिला।

लेकिन अब देश को नए आर्थिक रफ़्तार देने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के एक सुझाव से इन कंपनियों को अपनी कार्यप्रणाली बदलने के संकेत दिए गए हैं। जिससे देश में अब नौकरी करने का तरीका एकदम बदलने वाला है।

पीएम मोदी के अनुसार नए लेबर कोड के मुताबिक कर्मचारियों को हफ्ते में 3 वीकली ऑफ देने का प्रावधान है। लेकिन बाकी के 4 दिन उन्हें 12-12 घंटे काम करना होगा। 12 घंटे काम करना और फिर घर से दफ्तर तक आने जाने का मतलब हुआ कि लोगों को दिनभर 14-15 घंटे सफर और दफ्तर में ही बिताने होंगे। इस मुश्किल से बचने के लिए सरकार वर्क फ्रॉम होम इकोसिस्टम को बढ़ावा देने का काम करेगी।

अब हर हफ्ते कोई भी कर्मचारी 3 दिन तो घर में नहीं बिताएगा। वो एक दिन मूवी-रेस्टोरेंट और सिंगल डे ट्रिप का प्लान कर सकता है। ऐसे में वो जो खर्च करेगा, उससे भारतीय इकॉनमी को मजबूती मिलेगी। अगर वो 2-3 दिन की ट्रिप पर बाहर जाता है, तो उससे टूर एंड ट्रैवल समेत पूरे हॉस्पिटैलिटी सेक्टर को फायदा होगा। इससे कई जगहों पर पैसा पहुंचेगा और ये खर्च धीरे धीरे इकॉनमी की रफ्तार को तेज करेगा।

पीएम मोदी ने इसकी वकालत करते हुए कहा कि वर्क फ्रॉम होम इकोसिस्टम, फ्लेक्सिबल वर्क प्लेसेज और फ्लेक्सिबल वर्किंग घंटे भविष्य की जरूरतें हैं। पहली तीन औद्योगिक क्रांतियों का फायदा उठाने में भारत पीछे छूट गया है। इसलिए मौजूदा चौथी औद्योगिक क्रांति का फायदा लेने के लिए हमें तुरंत फैसले लेने और उन्हें तेजी से लागू करने पर काम करना होगा।

पीएम ने कहा कि बदलते हुए समय के साथ जिस तरह से नौकरियों का नेचर बदल रहा है उसको हम सब देख रहे हैं। यानी तेजी से बदलती दुनिया में इसका फायदा लेने के लिए हमें भी उसी स्पीड से तैयार होना होगा।

पीएम के वर्क फ्रॉम होम इकोसिस्टम से जुड़े सुझाव के बाद मूनलाइटिंग को लेकर भी बहस तेज हो गयी है। मूनलाइटिंग यानी एक जगह काम के बाद बाकी बचे घंटों में दूसरी जगह नौकरी करना है। वर्क फ्रॉम होम के दौर में ये चलन काफी देखने को मिला है। स्विगी Swiggy.com ने अपने कर्मचारियों को इसकी मंजूरी दी है कि वो काम के घंटों के बाद चाहें तो कुछ और भी काम कर सकते हैं।

इससे जो लोग 3 दिन की छुट्टी में कुछ अतिरिक्त काम करके एक्स्ट्रा इनकम अर्जित करना चाहेंगे उन्हें इसका फायदा मिलेगा।फ्लेक्सिबल वर्किंग आवर्स अपनाकर भी वो एक साथ दो नौकरियां कर सकते हैं। इससे उन्हें अतिरिक्त कमाई होगी और कंपनी को भी स्किल्ड वर्कर्स खोजने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी होगी।

कंपनियों में यह बहुत ज्यादा स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे गोपनीयता का उल्लंघन होगा। इसको लेकर कोई कानून भी नहीं है तो ये तय करना मुश्किल है कि कर्मचारी उसी सेक्टर की कंपनी में काम कर रहा है या नहीं।

अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए पीएम ने वर्क फोर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी को बढ़ाने पर जोर दिया है। पीएम का कहना है कि फ्लेक्सिबल वर्किंग आवर्स को अपनाकर भारत अपनी नारी शक्ति का बेहतर इस्तेमाल कर सकता है जिसकी भविष्य की जरूरत है।

पीएम मोदी ने कहा- देश का श्रम मंत्रालय अमृतकाल में 2047 तक के लिए अपना विजन भी तैयार कर रहा है। भविष्य की जरूरत वर्कफ्रॉम होम इकोसिस्टम, फ्लेक्सिबल वर्क प्लेसेज और फ्लेक्सिबल वर्किंग आवर्स है। हम फ्लेक्सिबल वर्क प्लेसेज जैसे तंत्र को महिला श्रमशक्ति की हिस्सेदारी के लिए मौके के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पर्सनल मैनेजमेंट, पुणे में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा- नए लेबर कोड का उद्देश्य मुकदमा-मुक्त समाज का निर्माण करना इस प्रकार आम नागरिकों को सशक्त बनाना है। इसके अलावा, अनावश्यक अपराधीकरण नहीं होना चाहिए। हमने पुराने कानूनों को युक्तिसंगत बनाया है और पुरुषों व महिला दोनों के लिए उचित मेहनताना सुनिश्चित करने के लिए ऑक्यूपेशनल सेफ्टी एंड वेज स्टैंडर्ड पर विचार किया है।

29 विभिन्न अधिनियमों को चार नए लेबर कोड में तब्दील कर दिया गया है। नए लेबर कोड वेज (Wage), सामाजिक सुरक्षा (Social Security), इंडस्ट्रियल रिलेशंस (Industrial Relations) और ऑक्यूपेशनल सेफ्टी (Occupational Safety) से जुड़े हैं। नए लेबर कोड के तहत ऑक्यूपेशनल सेफ्टी को लागू करने के लिए कानून बनाए गए हैं।

केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कि नए लेबर कोड में सोशल सिक्योरिटी फंड का प्रावधान है। इस वजह से श्रमिकों और नियोक्ताओं दोनों के लिए एक उपयुक्त नया वातावरण बनेगा। नया लेबर कोड संगठित और असंगठित दोनों प्रकार के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा का विस्तार करता है। इसमें असंगठित श्रमिकों के पंजीकरण का भी प्रावधान है। 4 लाख सामान्य सेवा केंद्रों के माध्यम से 7 महीनों में 28 करोड़ असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों ने ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया है।

केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि हमने सभी श्रमिकों को बीमा कवर भी प्रदान किया है। मैं लेबर यूनियंस से भी कहता हूं कि हमारी सरकार श्रमिकों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है सभी यूनियनों ने हमारा साथ दिया है।

नए लेबर कोड को एक जुलाई से ही लागू करने की चर्चा थी, लेकिन सभी राज्य कोड पर अपने ड्राफ्ट तैयार नहीं कर सके थे। इस वजह से नए लेबर कोड को लागू नहीं किया जा सका।

नए लेबर कोड के अनुसार नए वेज कोड में बेसिक सैलरी में भी बदलाव का प्रावधान किया गया है। इसके लागू होने के बाद टेक होम सैलरी यानी इन हैंड सैलरी आपको अकाउंट में कम आएगी। सरकार ने पे रोल को लेकर नए नियम बनाए हैं।

नए वेज कोड के तहत किसी भी कर्मचारी की बेसिक सैलरी (Basic Salary) उसकी टोटल सैलरी (CTC) के 50 फीसदी या उससे अधिक होनी चाहिए। अब अगर कर्मचारी बेसिक सैलरी बढ़ेगी, तो पीएफ फंड में कंट्रीब्यूशन भी बढ़ जाएगा। ऐसे में पीएफ में पहले के मुकाबले अधिक पैसा जमा होगा। इस तरह कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय मोटी रकम मिलेगी। (साभार दूरदर्शन)

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