‘कवि और कविता’ श्रृंखला में डॉ. प्रेरणा उबाळे की कविता ‘लोग भूल जाएंगे …’

‘कवि और कविता’ श्रृंखला में डॉ. प्रेरणा उबाळे की कविता ‘लोग भूल जाएंगे …’

‘कवि और कविता’ श्रृंखला में डॉ. प्रेरणा उबाळे की कविता ‘लोग भूल जाएंगे …’

लोग भूल जाएंगे – डॉ प्रेरणा उबाळे

लोग भूल जाएँगे …

लोग भूल जाएँगे
तुमने क्या कहा
तुमने क्या सहा
तुमने क्या लिखा
तुमने क्या किया
तुमने कैसे जिया
तुमने कैसे पाया

लोग भूल जाएँगे
तुम्हारा प्रेम
तुम्हारा स्नेह
तुम्हारा अनुराग
तुम्हारा जिंदापन

लोग भूल जाएँगे
तुमने उन्हें दिया सम्मान
तुमने उन्हें दिया अपनापन
तुमने उन्हें दिया समय
तुमने उन्हें दिया हाथ

लोग भूल जाएँगे
तुम्हारा उनके लिए भिड़ जाना
तुम्हारा उनके लिए संभल जाना
तुम्हारा उनके लिए ध्वस्त होना
तुम्हारा उनके लिए परास्त होना

लोग भूल जाएँगे
और भूलते ही जाएँगे
कि कभी तुम जिंदा थे

नहीं भूलेंगे तो
तुम्हारी गलतियाँ
जो माफ नहीं होंगी l
नहीं भूलेंगे,
तुम्हारा गुस्सा
जो उनके सही के लिए था
तुम्हारी असफ़लता
जो उन्हीं के कारण मिली
तुम्हारा रोना
जो हर आँसू उनके लिए था
रीत है यह , रीत है यह

याद रहेंगी यादें
सिर्फ तुम्हें
सिर्फ तुम्हें l

डॉ. प्रेरणा उबाळे (लेखिका, कवयित्री, अनुवादक, आलोचक, सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभागाध्यक्षा, मॉडर्न कला, विज्ञान और वाणिज्य महाविद्यालय (स्वायत), शिवाजीनगर, पुणे-411005, महाराष्ट्र) @Dr.PreranaUbale

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