हुंजा घाटी Hunza Valley जो pok यानि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर Pakistan-occupied Kashmir में है। इस हुंजा घाटी के लोग लगभग 120 वर्ष तक जीते हैं ! क्या कारण है आईये जाने।
भले ही वैज्ञानिक इंसान को हमेशा नौजवान दिखने के लिए शोध में लगे हों, लेकिन पाकिस्तान में हुंजा कम्युनिटी कि महिलाएं 80 साल में भी 30-40 साल जैसी दिखाई देती हैं। ये कम्युनिटी उत्तरी पाकिस्तान की कराकोरम पहाड़ियों में हुंजा घाटी नाम से चर्चित जगह पर रहती है। कहा जाता है कि इस कम्युनिटी के लोग औसतन 120 साल तक जिंदा रहते हैं।
उत्तरी पाकिस्तान के पहाड़ी इलाके में करीब 87000 की आबादी वाला एक छोटा सा क्षेत्र है जिसमें हुंजा कम्युनिटी के लोग रहते हैं। ये लोग आज भी प्राकृतिक संसाधनों से अपना जीवन चलाते हैं। इस समुदाय के लोगों की औसत उम्र करीब 120 साल होती है जबकि विशेष परिस्थितियों में कोई कोई इंसान 160 साल तक भी जीवित रहता है।
कहते हैं एक बार ब्रिटिश एयरवेज ने एक हुंजा समाज के व्यक्ति को वीजा देने में परेशानी जतायी क्योंकि पासपोर्ट पर उसकी जन्मतिथि 1832 लिखी हुई थी। एक ही परिवार में आपको 95 साल तक के पिता और 75 साल के बेटे का मिलना सामान्य बात है।
दरसल हुंजा कम्युनिटी की इस लंबी आयु का राज उनकी जीवनशैली में ही छिपा है जो पूरी तरह प्राकृतिक साधनों पर निर्भर है। ये लोग पूरी तरह शुद्ध दूध, फल, मक्खन आदि का इस्तेमाल करते हैं। आज भी इनके समाज में कैमिकल बेस्ड मॉर्डन पेस्टिसाइड को बगीचों और खेतों में छिड़कना प्रतिबंधित है।हुंजा लोग खास तौर पर जौ, बाजरा, कुट्टू और गेहूं का ही खाने में प्रयोग करते हैं। इसके अलावा ये आलू, मटर, गाजर और शलजम जैसी चीजों का भी भरपूर सेवन करते हैं।
इनकी सेहत का राज खुबानी में छुपा है जो ये प्रचुर मात्रा में खाते हैं। ये लोग दिन में केवल दो बार ही खाना खाते हैं जिसमें पहली बार दिन में 12 बजे तक और फिर रात को। ये खाना भी खुबानी के बीजों के तेल से ही पकता है। इस कम्युनिटी मांस खाने का प्रचललन बहुत कम है। किसी खास मौके पर ही मांस पकता है, वो भी बहुत छोटे-छोटे टुकड़ों में होता है।
हुंजा कम्युनिटी के लोग फिजिकली और मेंटली बहुत स्ट्रॉन्ग होते हैं। एक ओर इनकी औरतें बूढ़ी होने पर भी जवान दिखती हैं, वहीं इनके मर्द 90 साल में भी पिता बन सकते हैं। इनकी लाइफस्टाइल ही इनके लंबे जीवन का रहस्य है। ये लोग सुबह 5 बजे उठ जाते हैं। ये लोग पैदल बहुत घूमते हैं।
इस समुदाय के लोग कैंसर और ट्यूमर जैसी बीमारियों के बारे में जानते ही नहीं हैं क्योंकि इनका भोजन और जीवन शैली इस का शिकार होने ही नहीं देती। ये लोग बहुत ज्यादा पैदल चलते हैं। एक दिन में लगभग 15 से 20 किलामीटर, जबकि अच्छे सा अच्छा जिम आपको 3 किलोमीटर से ज्यादा कार्डियो नहीं करने देता। इसके अलावा साल के चार पांच महीनों में ये लोग पारंपरिक कारणों से खाना बिलकुल छोड़ कर सिर्फ लिक्विड डाइट पर ही रहते हैं।
इस कम्युनिटी के लोगों को बुरुशो भी कहते हैं। इनकी भाषा बुरुशास्की है। कहा जाता है कि ये कम्युनिटी अलेक्जेंटडर द ग्रेट Alexander the Great की सेना के वंशज हैं। जो 4थी सदी में यहां आए थे। ये कम्युनिटी पूरी तरह मुस्लिम है। इनकी सारी एक्टिविटीज मुस्लमानों जैसी ही हैं। ये कम्युनिटी पाकिस्तान की बाकी कम्युनिटीयों से कहीं ज्यादा एजुकेटेड है। हुंजा घाटी में इनकी पॉपुलेशन करीब 87 हजार ही है।
टूरिस्ट डेस्टिनेशन है हुंजा वैली, हुंजा वैली पाकिस्तान की सबसे ज्यादा पसंदीदा टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स में से एक है। दुनियाभर से लोग यहां की पहाड़ों में छुपी खूबसूरती देखने आते हैं। इस कम्युनिटी पर कई लोग किताबें भी लिख चुके हैं।
इनमें से जेआई रोडाल Jerome Irving Rodale की ‘द हेल्दी हुंजास’ The Healthy Hunzas और डॉ. जो क्लार्क John Clark की ‘द लोस्ट किंगडम ऑफ द हिमालयाज’ Lost Kingdom of the Himalayas फेमस हैं।