दागिस्तान, रूस : बीते रविवार 23 जून 2024 को अल्लाह हू अकबर का नारा लगाते हथियारबंद हमलावरों ने रूस के उत्तरी काकेशस स्थित दागिस्तान प्रांत में रविवार को डर्बेंट और मखाचकाला में उस समय हमला किया जब लोग चर्च और सिनेगॉग (यहूदियों का प्रार्थनास्थल) अपना प्राचीन त्योहार मना रहे थे। मखाचकाला में हमला हुआ वह दागिस्तान की राजधानी है। सूत्रों के अनुसार उन फिलिस्तीन समर्थकों के हमले में 15 पुलिसकर्मियों समेत कई आम लोगों के मारे जाने की खबर है। पुलिस ने त्वरित जवाबी कार्रवाई करते हुए छह हमलावरों को मार गिराया। घटना स्थल पर मुठभेड़ में मरने वालों में पुलिस, चर्च का पादरी, सिनेगॉग में उपस्थित लोग और सिक्योरिटी गार्ड भी शामिल हैं। इस हमले के बाद सरकार ने दागिस्तान में सोमवार से तीन दिन के शोक का एलान किया गया है।
दागिस्तान में पहले भी हमले होते रहे हैं। दागिस्तान प्रांत रूस के उत्तरी काकेशस प्रांत में बसा हुआ है, इसके पश्चिम में चेचेन्या और जॉर्जिया है और पूर्व में कैस्पियन सागर और दक्षिण में अजरबैजान है। पिछले वर्ष भी अक्टूबर में मखाचकाला शहर के एयरपोर्ट में फिलिस्तीन Palestine समर्थक लोग घुस आए थे और इस्राइल Israel की राजधानी तेल अवीव से आए लोगों की तलाश कर रहे थे और यहूदी विरोधी नारे लगा रहे थे। सोशल मीडिया में इस घटना का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें सैकड़ों लोग एयरपोर्ट टर्मिनल में घुस रहे थे और फ़लस्तीनी झंडे लिए हुए ‘अल्लाहू अकबर’ के नारे लगा रहे थे।
दागिस्तान एक प्राचीन शहर है जो इस्लामिक चरमपंथियों के हमले से ग्रस्त है। दागिस्तान फ़ारसी और तुर्किश भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘पहाड़ों की धरती’। दागिस्तान रूस के 22 गणराज्यों में से एक है। इस गणराज्य में 30 से ज़्यादा भाषाएं बोले जाने और नस्लीय विविधता के लिए जाना जाता है। तेल, गैस के भंडार, कैस्पियन सागर में मछली और खनिज संपदा यहां की अर्थव्यवस्था को आधार देता है। यह संगठित अपराध और सबसे अधिक बेरोज़गारी वाला इलाका भी है।
50 हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक में फैले दागिस्तान की जनसंख्या 31 लाख के ज़्यादा है। दागिस्तान नस्लीय और भाषाई विविधता और भौगोलिक खूबसूरती के साथ इस्लामिक चरमपंथियों के कारण एक अस्थिर क्षेत्र बना हुआ है। यह प्रसिद्ध इस्लामी योद्धा इमाम शमील का जन्म स्थान भी है, उन्होंने 19वीं सदी में रूसी शासन का विरोध करता रहा और यहीं से डेविल का राज कायम होता है और दागिस्तान आज तक अशांत बना हुआ है। स्टालिन का दौर में भी इस प्रांत के लोगों पर डेविल का ही साया छाया रहा।
1991 में संयुक्त सोवियत संघ के विघटन के बाद इस प्रांत ने रूस के साथ सोवियत संघ में बना रहा लेकिन इस्लामिक चरमपंथी ताकतों भी इस इलाके में अपनी आतंकी गतिविधि चलाते रहे। वर्ष 1999 में जब एक इस्लामिक संगठन ने दागिस्तान और चेचेन्या के कुछ इलाकों को आज़ाद घोषित करते हुए रूस के खिलाफ हथियार उठाने का एलान किया था। साल 2007 से 2017 के बीच कई मौकों पर काकेशस में रूसी सेना और काकेशस अमीरात के लड़ाकों के बीच संघर्ष हुआ।
इस्लामिक स्टेट ग्रुप बनने के बाद इस क्षेत्र के अधिकतर मुस्लिम युवा इराक और सीरिया जाकर ISIS में शामिल हुए। वर्ष 2015 के बाद से रूसी सेना के खिलाफ इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों ने मोर्चा संभाला और हमला करते रहे। ज़्यादातर घटनाएं चेचेन्या, दागिस्तान, इंगुशेतिया और काबर्डिनो-बलकारिया के उत्तर काकेशस इलाकों में होती हैं। इसकी अस्थिरता की तरफ़ इशारे करते हैं क्योंकि यह इलाका मुख्यतौर पर एक मुस्लिम रूसी प्रांत है और यहां की बहुसंख्यक आबादी सुन्नी मुसलमानों की है। यहां कई ऐसे आइडेंटिटी समूह हैं, जिनके नियंत्रण में एक या दो गाँव हैं।
दागिस्तान में कई दशकों से इस्लामिक उग्रवादी संगठन के आतंकी रूसी सुरक्षाबलों पर हमले करते रहे हैं। किंतु, 7 अक्टूबर 2023 से शुरू हुए इसराइल और फ़लस्तीन के युद्ध के बाद दागिस्तान में यहूदियों पर भी हमले तेज़ हुए हैं और ईसाइयों पर भी हमले कर रहे हैं।
रूस में इस्लाम 1000 साल पहले दागिस्तान के ऐतिहासिक दक्षिणी शहर डर्बिएंट के रास्ते अरब इसे यहां लेकर आए थे। साम्यवाद खत्म होने के बाद इस्लाम दागिस्तान में ख़ूब फैला। इस जगह पर तक़रीबन 3,000 मस्जिदें, इस्लामी संस्थान और स्कूल हैं। साल 2012 के एक सर्वे के मुताबिक 83% लोग जो अलग-अलग जनजातीय समूहों से आते हैं वो इस्लाम को मानने वाले हैं। बाकी के 17 फीसदी जनजातीय समूह अलग-अलग मान्यताओं वाले हैं। (साभार एनबीटी, बीबीसी और सोशल मीडिया)