बेंगलुरु : अयोध्या में २२ जनवरी को भव्य राम मंदिर में प्रभु रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा हुई है। रामलला की प्राणप्रतिष्ठा जिस मूर्ति में की गई, वह मूर्ति जिस शिला में मूर्तिकार अरूण योगिराज ने उकेरी, उस शिला को खोजने वाले दलित श्रीनिवास नटराज पर कर्नाटक सरकार ने जुर्माना लगाया है। शिला खोजनेवाले श्रीनिवास नटराज पर कर्नाटक खान एवम भूविज्ञान विभाग ने अवैध खनन का आरोप लगाते हुए 80 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। उस जुर्माने का भुगतान नटराज को अपनी पत्नी के गहने गिरवी रख कर किया है।
हरोहल्ली-गुज्जेगौदानपुरा गाँव निवासी श्रीनिवास नटराज एक स्थानीय खदान ठेकेदार हैं। एक किसान रामदास नाम ने अपनी खेत से पत्थरों और चट्टानों को साफ करने का ठेका दिया था। इस भूमि की एक बड़ी चट्टान को तीन हिस्से में बाँटा था, जिसे रामलला की मूर्ति तराशने के लिए इस्तेमाल की गई। किसान रामदास ने हाल ही में भगवान राम के मंदिर के निर्माण के लिए अपनी जमीन का एक हिस्सा दान करने की घोषणा भी की थी।
इन शिलाखंडों में से ही एक को मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने रामलला की बनाने के लिए चुना था। आरोपित वर्षीय श्रीनिवास नटराज ने मीडिया से कहा कि इस खेत में खनन के बारे में किसी ने विभाग को इसकी खबर दे दी और उन पर जुर्माना लगाया गया। लेकिन कोई भी मेरी मदद के लिए आगे नहीं आया। मैं इंतजार कर रहा हूँ कि कोई मेरी भी मदद करेगा।
70 साल के दलित किसान रामदास के अनुसार वे अपनी 2.14 एकड़ जमीन को खेती करने के लिए चट्टानों को साफ करा रहे थे। अपनी जमीन पर राम मंदिर बनाने की प्रतिज्ञा के बारे में रामदास ने कहा, “हमारे पास दक्षिण की तरफ एक अंजनेय मंदिर है, जिससे ऐसा लगता है कि अंजनेय की मूर्ति उस जगह को देख रही है, जहाँ से रामलला की मूर्ति के लिए पत्थर का खोदा गया था। इसलिए, मैंने वहाँ भगवान राम को समर्पित एक मंदिर बनाने के लिए चार गुंटा जमीन दान करने का फैसला किया है। हम मंदिर के लिए भगवान राम की मूर्ति तराशने के लिए अरुण योगीराज से मिलेंगे।”