रांची, 28 जून 2022 : झारखण्ड के साहित्यिक व्यक्तियों, राजनितिक कार्यकर्ताओं और NGO बुद्धिजीवियों ने 26 जून को प्रसिद्ध NGO सामाजिक कार्यकर्त्ता तीस्ता सीतलवाड़ पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तथा तीस्ता की गिरफ़्तारी के खिलाफ एक पत्र तैयार कर सामूहिक हस्ताक्षर किया|
वर्ष 2002 में गुजरात दंगों पर तात्कालिक मुख्यमंत्री और देश के आज के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ दंगा का आरोप लगाते हुए मोर्चा खोलने वाली तीस्ता पर उनके ही पूर्व सहकर्मी रईस खान ने आर्थिक और अपराधिक मामले का आरोप लगाया था|
गुजरात एटीएस की टीम ने सीतलवाड़ को 25 जून दिन शनिवार दोपहर को हिरासत में लिया था| उसके एक दिन बाद उन्हें एक नए मामले में अहमदाबाद की क्राइम ब्रांच को सौंप दिया है| समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार उनके ख़िलाफ़ अहमदाबाद क्राइम ब्रांच के एक इंस्पेक्टर ने शनिवार को दिन में एक एफ़आईआर दर्ज करवाई थी जिसके बाद एटीएस की टीम मुंबई में उनके घर पहुँच गई|
साल 2002 में गुजरात में हुए दंगों के लिए गुजरात को बदनाम करने और पीड़ितों के साथ धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार तीस्ता सीतलवाड़ की अहमदाबाद कोर्ट में पेशी हुई| तीस्ता को दुबारा मुंबई से गिरफ्तार किया गया|
झारखण्ड के इन बुद्धिजीवियों और सामाजिक NGO कार्यकर्ताओं ने तीस्ता पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश और गिरफ़्तारी की निंदा करते हुए आरोप लगाया कि यह लोकतंत्र और संविधान की हत्या हुई है| उन्होंने मांग की कि तीस्ता व् अन्य गिरफ्तार लोगों को जल्द रिहा किया जाय और उन पर आरोपित सभी मुक़दमे ख़त्म किये जाएँ| इस अभियान को प्रमुखता से झारखण्ड की बड़ी NGO सामाजिक कार्यकर्ता वासवी कीड़ो, दयामनी बारला, अश्विनी पंकज ने आयोजित किया जिसमे अनेक NGO कार्यकर्ता शामिल हुए और साहित्यकारों में रवि भूषण व् अन्य भी शामिल हुए|