Muslim-Craftman

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-शाहिद नकवी

तस्वीर से साफ है कि ये मुसलमान है और अपने काम में मसरूफ हैं। लेकिन ये साम्प्रदायिक तत्वों को चुनैती दे रहे हैं। ये उस साझी विरासत के धरोहर हैं जो हज़ारों साल पुरानी है। ये जनाब यह साबित कर रहे हैं कि भारत में हिंदु मुसलमान ज़मीनी स्तर पर उतने ही एक हैं जितना बयानो और भाषणों से राष्ट्रवादी और गैर राष्ट्रवादी की पड़ताल की जाती है।

इस साल तो कुछ तस्वीरें ऐसी भी आयी हैं जिसमें कांवड़ियों पर मुस्लिम फूल बरसा रहे हैं और उनके ज़ख्मी पैरों का इलाज भी कर रहे हैं। वहीं ऐसी भी तस्वीरें थी जिसमें मुस्लिम कांवड़ियों के साथ अपने कांवड़ लिए कदम से कदम मिला रहे थे।

यह सावन का महिना है इस लिये ये जनाब बहुत व्यस्त हैं क्यों कि इन्हें शिव भक्तों का ख्याल है। जिनके लिये जलाभिषेक करने के लिये कांवड़ बनाना है। कांवड़ बनाना इनका पुश्तैनी काम हैं।

अब आमदनी कम होने के बाद भी ये इस काम को केवल इस लिये नहीं छोड़ना चाहते क्योंकि बरसों से आसपास के शिव भक्त बड़े भरोसे से इनके परिजनों का बनाया कांवड़ ले जाते हैं। उनका प्रयास ये भी रहता है कि कांवड़ हलका बनाये ताकि शिव भक्तों को परेशानी ना हो। लेकिन वह उसे खूबसूरती से सजाते सवांरते भी हैं। यही नहीं हर साल सावन में इनके जैसे बहुत से लोग कांवड़ यात्रा पर जाने वालों के लिये मेज़बान भी बनते हैं।

वैसे तो कांवड़ बनाने वाले मुसलमान देश के कई इलाकों में हैं। यह तस्वीर पश्चिम उत्तरप्रदेश की है जहां सामाजिक ताना बाना खराब होने की खबरें हम अक्सर पढ़ते रहते हैं। मेरठ में भी कांवड़ मुसलमान बनाते हैं। हरिद्वार के ज्वालापुर में तो कई दर्जन परिवार आज भी इस काम में लगे हैं। बिहार और गया में भी सैकड़ों परिवार कांवड़ बनाते हैं। जिनके बनाये कांवड़ बाबा बैजनाथ तक जाते हैं। पिछले साल मध्य प्रदेश में कुछ जगह मुसलमान बाकायदा कांवड़ यात्रा में शामिल भी हुये थे। सदभावना का संदेश देने वाली यह तस्वीर अंतिम नहीं है।

गौ-कथा वाचक और कई गौ-रक्षक भी मुसलमान हैं। भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के हाथी को सजाने का काम भी कई मुसलमान करते हैं। वहीं रावण का पुतला भी कई जगह मुसलमान बनाते हैं। हो सकता है समाज को देखने का अपना अपना नज़रिया हो। लेकिन मैं जब भी समाज को देखने की कोशिश करता हूं तो पता नहीं क्यों मुझे समाज हमेशा एक और मेलमिलाप से सराबोर ही दिखता है। मेरा विश्वास है कि हर आस्था का सम्मान किया जाना चाहिए।

@Shahid Naqvi

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