जे जयललिता (जयराम जयललिता) को सभी जानते हैं। तमिलवासी उन्हें ज्यादा अम्मा के नाम से पुकारते हैं। राजनीति के और राजनीति में किस्से कहानियों का कोई हिसाब नहीं है, वह अनगिनत हैं। किंतु हम यहां तमिलनाडु की वह शख्सियत की चर्चा कर रहे हैं जो एक मिसाल कही जा सकती हैं, जे जयललिता! तब एम करुणानिधि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री थे, साथ ही वित्त मंत्री भी। उन्होंने अपनी बजट भाषण शुरू ही किया था कि टैक्स बढ़ाने पर जयराम जयललिता ने कुछ मुद्दों को उठाना शुरू किया। करुणानिधि नाराज हो गए और अपने विधायकों को इशारा कर दिया।

करुणानिधि का इशारा मिलते ही द्रमुक यानी DMK विधायकों ने मारपीट शुरू कर दी। तमिलनाडु विधानसभा में जयललिता की साड़ी पकड़कर खींची गई। उनके सिर पर हाथ से मारा गया। उनके बाल पड़कर घसीटे गए यहां तक कि कुछ जगहों पर उनके बाल उखड़ गए और सर से खून निकलने लगा। रोती हुई जयललिता किसी तरह विधानसभा से निकली थीं।

सदन से बाहर निकलकर कार में बैठते ही जयललिता ने पत्रकारों के सामने कसम खाया- “अब मैं विधायक के पद से इस्तीफा दे रही हूं। अब इस विधानसभा में तभी प्रवेश करूंगी जब मैं मुख्यमंत्री बन जाऊं”। और, जयललिता ने ऐसी भीष्म प्रतिज्ञा ली कि उसे पूरा करने के लिए पूरे तमिलनाडु के घर-घर का दौरा किया और फिर 24 जून 1991 को सबसे कम उम्र की तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनकर विधानसभा लौटी।

जे जयललिता दक्षिण भारतीय राजनैतिक दल ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (अन्ना द्रमुक) की महासचिव थीं। इससे पूर्व वो 1991 से 1996 , 2001 में, 2002 से 2006 तक और 2011 से 2014, 2015 से 2016 तक छह बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं। राजनीति में आने से पहले जयललिता अभिनेत्री थीं और उन्होंने तमिल के अलावा तेलुगू, कन्नड और एक हिंदी तथा एक अँग्रेजी फिल्म में भी काम किया है।

जयललिता 15 वर्ष की आयु में कन्नड फिल्मों में मुख्‍य अभिनेत्री की भूमिकाएं करने लगी थीं। इसके बाद वे तमिल फिल्मों में काम करने लगीं। 1965 से 1972 के दौर में उन्होंने अधिकतर फिल्में एमजी रामचंद्रन के साथ की। फिल्मी करियर के बाद उन्होने एमजी रामचंद्रन के साथ 1982 में राजनीतिक करियर की शुरुआत की। उन्होंने 1984 से 1989 के दौरान तमिलनाडु से राज्यसभा के लिए राज्य का प्रतिनिधित्व भी किया।

वर्ष 1987 में रामचंद्रन का निधन के बाद जयललिता खुद को रामचंद्रन की विरासत का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। वे 24 जून 1991 से 12 मई 1996 तक राज्य की पहली निर्वाचित मुख्‍यमंत्री और राज्य की सबसे कम उम्र की मुख्यमंत्री बनी। राजनीति में उनके समर्थक उन्हें अम्मा (मां) कहकर बुलाते हैं। 5 दिसम्बर 2016 को रात 11:30 बजे जयललिता का देहावसान हो गया।

एमजीआर को अपने तीसरे कार्यकाल में अपनी मृत्यु तक लोकप्रिय समर्थन मिलता रहा। 24 दिसंबर 1987 को उनकी मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद उनकी पत्नी, अभिनेत्री से नेता बनीं वीएन जानकी रामचंद्रन , आरएम वीरप्पन और 98 विधायकों के समर्थन से पार्टी के नेता बतौर सामने आई। जयललिता को उनके गुट की आम बैठक में 1 जनवरी 188 को अन्नाद्रमुक का महासचिव चुना। जानकी रामाचंद्रन 7 जनवरी 1988 से 30 जनवरी 1988 को राज्य विधानसभा भंग होने और राष्ट्रपति शासन लागू होने तक 23 दिनों तक राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री रही। एमजीआर की एआईडीएमके अंदरूनी कलह की शिकार हो गई और दो गुटों में बंट गई, एक जानकी रामचंद्रन के नेतृत्व में और दूसरा जे. जयललिता के नेतृत्व में। जे जयललिता एमजीआर की सहयोगी और फिल्मों की अभिनेत्री थीं जो नेता बनीं।

1989 के विधानसभा चुनाव में द्रमुक 13 वर्षों के बाद सत्ता में आई और एम करुणानिधि तीसरी बार मुख्यमंत्री बने। विभाजन के कारण अन्नाद्रमुक को चुनाव में भारी नुकसान उठाना पड़ा, जानकी गुट को 2 और जयललिता गुटों 27 सीटें मिलीं। चुनाव में एआईएडीएमके की हार के बाद 7 फरवरी 1989 को जानकी के नेतृत्व वाले गुट का जयललिता के नेतृत्व में विलय हो गया। 8 फरवरी 1989 को तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त आर. वीएस पेरी शास्त्री ने जयललिता के नेतृत्व वाली संयुक्त अन्नाद्रमुक को दो पत्तियां चुनाव चिह्न अलॉट किया।(साभार गूगल)अरुण प्रधान

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