नई दिल्ली, 12 जून 2022 : ईशनिंदा पर इस्लामिक और विभिन्न मुस्लिम संगठन संविधान की आड़ में हाथ में पत्थर लेकर लोकतंत्र को लहूलुहान करने पर आमादा है| अपने मुल्ला, मौलाबियों, मौलाना और नेताओं के कहने पर सडकों पर उत्पात मचा रहे हैं| मुस्लिम संगठन इन्हें समझाने की बजाय उकसाने और मदद करने में मशगुल है, आग में घी डाल रही है|
जमीयत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने कहा कि इन प्रदर्शनों में शरारती तत्व शामिल हो सकते हैं| मगर शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले नागरिकों को दंडित नहीं किया जाना चाहिए|
ईशनिंदा के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन में गिरफ्तार लोगों को जमीयत उलमा-ए-हिंद कानून मदद मुहैया करवाने की बात कही है| इस लेकर संगठन के महासचिव् मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने कहा कि “विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस के अत्याचारों और स्थिति को नियंत्रित करने में असमर्थता ने आग में घी का काम किया है| पैगंबर का अपमान करना बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है| इसका विरोध करना देश के मुसलमानों और न्यायप्रिय नागरिकों का संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकार है”| लेकिन हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं पे आपतिजनक टिप्पणियों पर मौलाना ने कुछ भी नहीं कहा| (चित्र साभार गूगल)