Safoora Zargar (सफूरा ज़रगर)

Safoora Zargar (सफूरा ज़रगर)

नई दिल्ली : जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की रिसर्च स्कॉलर सफूरा जरगर Safoora Zargar को दिल्ली दंगों से संबंधित कथित साजिश के मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। बाद में अदालत ने मानवीय और चिकित्सा आधार पर सफूरा को जून 2020 में जमानत दे दिया था। सफूरा जम्मू-कश्मीर के किस्तवार की रहने वाली है।

अब 19 अगस्त को जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय प्रबंधन ने आपने रिसर्च स्कॉलर छात्रा और दिल्ली दंगों की आरोपी सफूरा जरगर के विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश पर रोक लगा दिया है। साथ ही जामिया प्रशासन ने सफूरा का एमफिल एडमिशन भी रद्द कर दिया है। सफूरा जरगर ने 2019 में इंटिग्रेटिड एमफिल, पीएचडी कार्यक्रम में समाजशास्त्र विभाग में दाखिला लिया था। सफूरा जरगर जामिया की छात्र रहते CAA और NRC का विरोध में शाहीन बाग धरने में सक्रिय थी, साथ ही देश के टुकड़े करने के नारे देने वाले उमर खालिद और सर्जिल इमाम के रिहाई के आन्दोलन में सक्रिय रही है।

सफूरा जरगर ने अधिकतम पांच सेमेस्टर के निर्धारित समय के भीतर अपना एमफिल शोध प्रबंध जमा नहीं किया। सफूरा जरगर ने पहले कहा था कि उन्हें अपनी थीसिस जमा करने के लिए समय देने से वंचित किया जा रहा था। जबकि अन्य स्कॉलर्स के लिए समय बढ़ाया जा रहा था। उन्होंने कहा कि उन्हें केवल एक कोविड एक्सटेंशन मिला, जबकि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पांच विस्तार देने की पेशकश की थी। 

जामिया विश्वविद्यालय प्रशासन अपने आदेश में कहा है कि ”यह देखा गया है कि सफूरा जरगर (पूर्व छात्र) कुछ अन्य छात्रों के साथ शांतिपूर्ण शैक्षणिक वातावरण को बिगाड़ने के लिए अप्रासंगिक और आपत्तिजनक मुद्दों के खिलाफ परिसर में आंदोलन, विरोध और मार्च आयोजित करने में शामिल रही हैं, जिनमे प्रदर्शनकारी ज्यादातर बाहरी हैं। वह विश्वविद्यालय के छात्रों को उकसा रही हैं और कुछ अन्य छात्रों के साथ अपने दुर्भावनापूर्ण राजनीतिक एजेंडे के लिए विश्वविद्यालय के मंच का उपयोग करने की कोशिश कर रही हैं। इसके अलावा, वह संस्था के सामान्य कामकाज में बाधा भी डाल रही हैं। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए और परिसर में शांतिपूर्ण शैक्षणिक वातावरण बनाए रखने के लिए सक्षम प्राधिकारी ने पूर्व छात्र सफूरा जरगर पर तत्काल प्रभाव से कैंपस प्रतिबंध को मंजूरी दे दी है।”

सफूरा का नामांकन रद्द किए जाने के बाद, सफूरा जरगर और जामिया के अन्य छात्र जामिया प्रशासन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर मांग कर रहे थे कि उसे फिर से एडमिशन देने के साथ ही थीसिस जमा करने के लिए और समय दिया जाए।

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