जागो बिहार जागो पार्ट- 4, बख्तियारपुर का नाम बदलो "आचार्य राहुल भद्रसेन नगर" करो

जागो बिहार जागो पार्ट- 4, बख्तियारपुर का नाम बदलो "आचार्य राहुल भद्रसेन नगर" करो

जो राजद कभी नितीश को स्लोगन देती थी कि "आधी रोटी तवा में, नितीश गए हवा में", वह आज जदयू के साथ मिलकर यह साबित कर दिया कि भाजपा बिहार का फिसड्डी विपक्ष है। साथ ही नितीश के पेट के दांत को भाजपा ने वर्षो तक पोषित किया। राजनितिक प्रेक्षकों का यह भी मानना है कि NDA में यादवों की राजनीति के सम्भावनाएं अब न्यूनतम हो गयी है। इसके साथ ही इस जातिगत सर्वे ने यह भी प्रमाणित किया कि "शोषक बदल गए हैं लेकिन शोषित वही हैं। "

बिहार की जातीय जनगणना / सर्वे से बिहार ही नहीं देश के लोगों को भी चारा घोटाला, सृजन घोटाला, शराबबंदी घोटाला सहित अन्य घोटालों से ज्यादा उद्वेलित किया है। अतः इसे एक राजनितिक घोटाला का संज्ञा मिलना चाहिए।

राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि अभी तक केवल मुस्लिम तुष्टिकरण का ही सरकार पर आरोप लगता था। अब इस जातीय सर्वे के बाद इस तुष्टिकरण में बहुत ही चतुराई से मुस्लिमों के साथ यादवों को भी जोड़ लिया गया है। अब अति पिछड़ा समाज और सवर्ण समाज इस जातीय जनगणना के विरोध में इस प्रकार मुखर हो गया है कि लल्लू – नितीश की सरकार को न तो इसको निगलते बन रहा है न ही उगलते बन रहा है। इसके बाद से जातीय और वर्ग संघर्ष को बढ़ावा मिला है जो कि न केवल आज बल्कि आगे आनेवाली पीढ़ियों को भी उद्वेलित रखेगा।

जो राजद कभी नितीश को स्लोगन देती थी कि “आधी रोटी तवा में, नितीश गए हवा में”, वह आज जदयू के साथ मिलकर यह साबित कर दिया कि भाजपा बिहार का फिसड्डी विपक्ष है। साथ ही नितीश के पेट के दांत को भाजपा ने वर्षो तक पोषित किया। राजनितिक प्रेक्षकों का यह भी मानना है कि NDA में यादवों की राजनीति के सम्भावनाएं अब न्यूनतम हो गयी है। इसके साथ ही इस जातिगत सर्वे ने यह भी प्रमाणित किया कि “शोषक बदल गए हैं लेकिन शोषित वही हैं। “

अगर यह विश्लेषण किया जाय कि अभी तक प्रकाशित जातिगत सर्वे के आकड़ों में क्या नहीं आया है ? तो निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर मिलना शेष है –
१. इस जातिगत सर्वे को पहले क्यों नहीं कराया गया ? नितीश तो बिहार के १८ साल से मुख्यमंत्री हैं।
२. १९९० से २०२३ तक किन जातियों ने राजनितिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से प्रगति की है और किन जातियों ने प्रगति नहीं किया है ?
३. १९९० से २०२३ तक किन जातियों की माली हालत ख़राब होती चली गयी है ?
४. किन जातियों ने भ्रस्टाचार, अपराध, जंगलराज और घोटाला को पोषित करने में अहम् भूमिका निभाई है ?
५. पिछले १८ वर्षो में किन जातियों की नियुक्ति सब डिवीजनल मजिस्ट्रेट (SDM ) और पुलिस इंस्पेक्टर में सबसे ज्यादा हुई है ?
६. जब यादवों की संख्या १४% है तो उनके २७% विधायक क्यों हैं ? और बिहार सरकार के कुल बजट का ४०% भाग यादव मंत्रियों के हाथ में क्यों है ?
७. बिहार में पिछले १८ वर्षो से नितीश क्यों मुख्यमंत्री है जबकि उनके जाती की संख्या ३% से भी कम है ?
८. मंत्रिमंडल में अतिपिछड़ा और सवर्णो की संख्या इतनी कम क्यों है जबकि अतिपिछड़ा की संख्या ३६% हैं
९. लालू और नितीश के शासनकाल में भ्रष्टाचार कितना प्रतिशत बढ़ा है ?
१०. १९९० से २०२३ तक बिहार के किन जातियों की कितनी संख्या बिहार से पलायन होने के लिए मजबूर हुई ? “बिहार फाइल्स कब बनेगा ?”
११. पिछड़ों में क्रीमी लेयर को क्यों नहीं चिन्हित किया गया? और उनके स्थान पर अतिपिछड़ों को आरक्षण का लाभ क्यों नहीं दिया गया ?
१२. सवर्णों में गरीबों को चिन्हित करने का काम क्यों नहीं हुआ? उनकी गरीबी दूर करने के लिए सवर्ण आयोग क्यों नहीं बना ?
१३. शराबबंदी लागू करके शराब की होम डिलीवरी की व्यस्था से सरकारी ख़ज़ाने को कुल कितना नुक़सन हुआ और कितना पैसा सफेदपोश नेताओं और पुलिस में वितरित हुआ होम डिलीवरी से ?
१४. १९९० से २०२२ तक २७% OBC आरक्षण का लाभ किन जातियों को कितना मिला ?
१५. सामाजिक न्याय के नाम पर कितना भ्रस्टाचार हुआ ?
१६. लालू के परिवार की कुल सम्पति कितनी है ? और इनलोगों के आय के श्रोत क्या हैं ?
१७. RCP टैक्स का कितना पैसा जदयू के फण्ड में गया ?
१८. मनोज झा जैसे कितने नेता हैं जो चोर दरवाजे से संसद में आते है ?

इन प्रश्नों के उत्तर से बिहार की जनता को बिहार के राजनीतिक घोटाला को समझने में मदद मिलेगी। समर्थ बिहार इन प्रश्नों को लेकर लोगों के समक्ष जायेगा ताकि इस राजनितिक घोटाला का पर्दाफास किया जा सके। – संजय कुमार व् एस के सिंह (समर्थ बिहार)

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