कारगिल, 15 जून 2022 : लद्दाख के कारगिल में एक गोंपा यानि बौद्ध मठ बनाने का एक अभियान बौद्धों द्वारा चलाया जा रहा है| लद्दाख से कारगिल तक बौद्धों की एक यात्रा 31 मई 2022 से जारी है, इस शांति यात्रा में लोग “गोंपा वहीँ बनायेंगे” और “की की सोसो लहरगल्पो” (देवताओं की जय) लगा रहे हैं | इस यात्रा का नेत्रित्व बौद्ध धर्मगुरु चोस्कयोंग पालगा रिनपोछे अपने अनुयायियों के साथ कर रहे हैं और उनका लक्ष्य कारगिल में एक विवादास्पद स्थल पर एक मठ का पत्थर रखना है। इस पर कुछ मुस्लिम संगठनों ने आपत्ति जताई है। मुस्लिम इन नारों से नाराज हैं उनका कहना है कि इससे माहौल खराब हो सकता है।
कई इस्लामीक संगठनों ने “कारगिल लोकतांत्रिक गठबंधन” के नाम का बैनर बनाकर इस शांति यात्रा निकाले जाने को कानून व्यवस्था के लिए खतरा बताया है। इस्लामी संगठनों ने जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर चेताया है कि पद यात्रा सियासी मंशा से निकाली जा रही है, जिससे हालात खराब हो सकते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिम सामाजिक और धार्मिक संगठनों के संगठन “कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस” (KDA) ने कारगिल उपायुक्त को एक पत्र लिखकर कहा कि यह मार्च राजनीति से प्रेरित है और लद्दाख में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ सकता है।
जमायत उलमा कारगिल के अध्यक्ष शेख नजीर मेहदी ने कारगिल में मुसिम संगठनों की सभा में कहा कि “बौद्ध भिक्षु लोगों को इकठ्ठा करके कारगिल ला रहे हैं, लेकिन अब भी स्थानीय प्रशासन खामोश है| हम इस इलाके में शांति चाहते हैं, सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ते नहीं देख सकते| इशी जगह पर दलाई लामा आये थे, हमने उनका स्वागत किया था|लेकिन भिक्षु जिस इरादे से कारगिल आ रहे हैं वह हमें मंजूर नहीं है| प्रशासन को चाहिए कि इस पर रोक लगाये जो हमसे बात करने के लिए आएगा हम उससे बात करेंगे और जो हमें इज्जत देने आएगा हम भी उसे इज्जत देंगे| अगर हम पर हमला करेगा तो हम खुद को बचायेंगे|”
लेकिन “लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन” (LBA) की कारगिल शाखा के पदाधिकारियों ने शांति पद यात्रा को सर्वसम्मति से बिना शर्त समर्थन करने का फैसला लिया। एलबीए यूथ विंग, महिला इकाई, गोबा और कारगिल शाखा के तहत सभी गांवों के प्रतिनिधियों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए एसोसिएशन के कारगिल अध्यक्ष स्कर्मा दादुल समेत अन्य पदाधिकारियों ने कहा कि समूचा बौद्ध समुदाय आठवें चोसक्योंग पलगा रिंपोछे के नेतृत्व वाली शांति पद यात्रा का समर्थन करता है।
सोनम बंग्चुक प्रसिद्ध वैज्ञानिक और शिक्षविद्द्य हैं, ने कहा कि क्या कुछ गज जमीन के लिए हम बरसों से बनी अपनी एकता में दरार आने दें? क्या एक मठ के लिए हम अपनी दोस्ती और अमन को दांव पर लगा दें? क्या यह आपको सही लगता है ?
कारगिल जिले के मुख्य बाजार में वर्ष 1961 में बौद्ध मठ की एक मंजिला इमारत का निर्माण किया गया था। एलबीए के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि सरकार ने दो कनाल भूमि पर निर्माण की अनुमति दी थी, लेकिन मुस्लिम संगठनों द्वारा सियासी दबाव बनाकर वर्ष 1969 में बौद्ध मठ के निर्माण पर रोक लगा दी गई। इस मठ में बौद्ध धर्म की पुस्तकें व साहित्य मौजूद है और यहां बौद्ध पद्धति से पूजा-पाठ भी होता है। कारगिल में मुस्लिम आबादी वर्ष 2022 में अनुमानित तौर पर 1 लाख 68 हजार से ज्यादा है. हिन्दू आबादी 12 हजार के लगभग बौद्ध 24 हजार के लगभग और इसाई की संख्या 722 है|
एक समय लद्धाख की बहुसंख्या बौद्ध थी| लेकिन समय के साथ कारगिल में धर्मान्तरण ने जोर पकड़ा और कारगिल में आज मुस्लिम जनसंख्या बहुल हो चूका है और पूरे लद्धाख की बौद्ध आबादी के लिए ये एक संगठित तौर पर आक्रामक बने हुए हैं|