पटना : बिहार विधानसभा में राजद को छोड़ बीजेपी का साथ ले नीतीश ने अपनी सरकार का बहुमत साबित कर दिया। इसमें महत्वपूर्ण भूमिका हिंदुस्तान अवामी मोर्चा (HAM) के संस्थापक जीतनराम मांझी की भी थी, जदयू और भाजपा वालों की सांस अटकी हुई थी। और राजद ने सदन से बहिर्गमन किया था।

इसके बाद बिहार सरकार नीतीश कुमार के नेतृत्व में कार्यरत है तो दूसरी ओर नीतीश के पाला बदलने से कथित ठगी का शिकार हुई राजद तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बिहार में जगह जगह बैठक और आमसभा कर रही है। बैठकों और सभाओं में तेजस्वी लोगों को बता रहा है कि नितीश सरकार में उपमुख्यमंत्री रहते हुए वह लोगों को रोजगार देने के लिए कई लाख भर्ती निकाला। इन भर्तियों का श्रेय तेजस्वी अपने नाम करने का अभियान चलाए हुए है। ताकि बिहार के लोग इससे प्रभावित हो आनेवाले विधानसभा चुनाव में उसे मुख्यमंत्री बनने लायक बहुमत दे दे।

तो दूसरी तरफ जीतनराम मांझी को भी समय ने बिहार की राजनीति में प्रमुख खिलाड़ी बना दिया है। थाली में छेड़ा करने वाले की उपमा से विख्यात जीतनराम मांझी ने अपने कार्यकर्ता बैठक से यह संदेश दिया है कि वह नीतीश कुमार का अहसान चुका दिए हैं, जब एक बार नीतीश ने भी उन्हें बिहार का मुख्यमंत्री बनाया था।

जीतनराम मांझी के इस बयान से अटकल लगाए जाने लगे हैं कि क्या लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में जीतन राम मांझी का नीतीश से मोह भंग हो गया है और विधानसभा चुनाव से पहले कोई बड़ा खेल करेंगे और अब जीतनराम मांझी भी पलटी मरेंगे ?

इन सवालों के पीछे का कारण यह भी माना जा रहा है कि जीतनराम मांझी ने नीतीश से अपने लिए दो मंत्रालय की शर्त रखी थी, जिसे अब तक पूरा नहीं किया गया है। इसलिए जीतनराम मांझी नीतीश-भाजपा गठबंधन पर दबाव बनाने के लिए यह बयान दे रहे हैं और राजद को भी संकेत दे रहे हैं। और इसी रणनीति के तहत एक पोस्टर सामने आया है जिसमें जीतनराम मांझी के बेटे को बिहार का अगला मुख्यमंत्री बनाने का नारा है। यह संकेत असल में राजद को भेजा जा रहा है।

इससे ही यह कयास भी जोर पकड़ लिया है की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के संस्थापक एवं बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी बिहार में बड़ा खेल कर सकता है। और शायद लोकसभा चुनाव से पहले ही जीतन राम मांझी पाला बदल ले!

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