नई दिल्ली : अडानी ग्रुप पर अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg) की रिपोर्ट से खुलासा होने के बाद अडानी की कंपनियों के शेयरों में उथल पुथल जारी है और शेयरों के दाम रोजाना रिकॉर्ड निचे गिरते जा रहे हैं। अडानी को भी मीडिया में आ कर अपनी कंपनी के बारे में स्पष्टीकरण देना पड़ा है। देश में एक खेमा जो भाजपा विरोधी है वह हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को प्रमाणिक मानते हुए प्रधानमंत्री मोदी और अडानी पर लगातार हमले किये जा रही है। अडानी के शरेधार्कों में लगातार अविश्वास का माहौल बनाया जा रहा है। तो दूसरी तरफ अडानी के बाद अडानी के पक्ष में अन्य लोग भी सामने आ कर स्थितियों को स्पष्ट करने में लगे हैं।
इसी क्रम में वरिष्ठ वकील, ब्रिटेन में क्वींस काउंसिल और देश के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने इंडिया टुडे को दिए साक्षात्कार में कहा कि अडानी ने अपनी कंपनी के एफपीओ वापस ले कर इस समय सही फैसले लिया है, यह अच्छा कदम है। अगले कुछ हफ्तों में शेयरों में गिरावट जारी रहेगी। जब तक बाजार में उथल- पुथल रहेगी तब तक निवेशकों में डर रहेगा। किसी भी कंपनी को अपनी साख बनाने और निवेशकों का विश्वास जीतने में बहुत समय लगता है। लेकिन यह एक झटके में टूट भी जाता है। अभी विपक्षी दलों के लिए अडानी का बकरा है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उन्हें बाद में दोषमुक्त कर दिया जाए।
पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे ने कहा कि हम भारतियों को यह समझना जरुरी है कि हिंडनबर्ग की यह रिपोर्ट भारत और भारतीयों पर हमला है। कुछ वर्षों से भारत ने वैश्विक मंच पर जिस तरह अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है, भारतीय कारोबारी दुनियाभर में परचम लहरा रहे हैं। लेकिन इससे कोई खुश नहीं है। अडानी की अधिकतर संपत्तियां रेगुलेटेड हैं, लिस्टिड हैं। इनके सभी रिकॉर्ड पब्लिक डोमेन में हैं। आप कह सकते हैं कि हिंडनबर्ग छिप-छिपकर रिसर्च की और उससे जो निकला वो बेतूका है। ऐसा समय भी था, जब हम भारत में निवेश के लिए ब्रिटिश कारोबारियों की खुशामद करते थे। लेकिन अब ब्रिटिश सरकार ब्रिटेन में निवेश के लिए भारतीयों को बुला रही हैं। यह दुनिया की डायनैमिक्स में एक बड़ा बदलाव है। लेकिन इसका अपना खामियाजा भी है।
अडानी कंपनी पर मामले में साल्वे ने कहा कि आज के समय में ऐसी कोई कंपनी या शेल कंपनी नहीं है, जिसकी बैलेंस सीट नहीं है। अगर किसी लिस्टेड कंपनी की विदेश में सब्सीडियरी कंपनी है, उसका भी पूरा ब्योरा है। अगर आज अडानी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर लिस्टेड कंपनी के शेयर को कंट्रोल करते हैं तो उसका भी खुलासा करना होगा। इसलिए ऐसा कुछ नहीं है, जो छिपा हुआ हो।
हिंडनबर्ग के बारे में हरीश साल्वे ने कहा कि हिंडनबर्ग एक शॉर्ट सेलिंग फर्म हैं। कुछ लोग आरोप लगाकर पैसा कमाना पसंद करते हैं। भारत में हिंडनबर्ग जैसी फर्म पर कानूनी कार्रवाई के लिए किसी तरह का लीगल ढाचा नहीं है। अगर हम उन पर मानहानि का मुकदमा भी करना चाहेंगे तो गौतम के पोते तक यह केस अदालत में लड़ते रहेंगे। हम अमेरिका में हिंडनबर्ग पर मुकदमा दायर नहीं कर सकते क्योंकि वहां वे पूछेंगे कि इसका सबसे अधिक कहां असर हुआ ? जवाब में भारत कहने पर कि दो टूक बोल देंगे कि यह हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है इसलिए वहां मुकदमा दर्ज करना मुश्किल है।
उन्होंने कहा कि मुझे निजी तौर पर लगता है कि सेबी के पास हिंडनबर्ग की रिपोर्ट है, उनके पास अडानी का जवाब भी है। सेबी को चाहिए कि अपनी रिपोर्ट को पूरी तरह से सार्वजनिक करे। सेबी निवेशकों को बताये कि वह घबराए नहीं, जांच करेंगे और रिपोर्ट पेश करेंगे। सेबी के पास अधिकार है, उन्हें अडानी को बुलाना चाहिए और उनसे सवालों से जवाब लेने चाहिए। इन आरोपों की जांच के लिए 72 घंटे बहुत है। सेबी 72 घंटों में इसकी रिपोर्ट पेश करें। (चित्र साभार सोशल मीडिया)