नई दिल्ली : भाजपा विरोधी और एनजीओ-INDI गठबंधन सहित कांग्रेस पार्टी का इकोसिस्टम लोकसभा चुनाव 2024 के 4 जून को मतगणना परिणाम पर देश में हिंसक घटना होने की आशंका, भाजपा द्वारा तानाशाही स्थापित किया जाने, चुनाव परिणाम प्रभावित करने के नैरेटिव को आधार बनाकर एक खुला पत्र भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखा है।

सात पूर्व न्यायाधीशों ने चुनाव रिजल्ट को लेकर गहरी चिंता जताई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को खुला पत्र लिख कर गुहार लगाया है कि हर हाल में संविधान की रक्षा होनी चाहिए।

उच्च न्यायालय के सात पूर्व न्यायाधीशों में मद्रास उच्च न्यायालय के छह पूर्व न्यायाधीशों जी एम अकबर अली, अरुणा जगदीसन, डी हरिपरन्थमन, पी आर शिवकुमार, सी टी सेल्वम, एस विमला और पटना उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश अंजना प्रकाश ने सोमवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक खुला पत्र लिखा है। इस खुले पत्र में उन्होंने भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से “स्थापित लोकतांत्रिक मिसाल” का पालन करने और 2024 के आम चुनावों में खरीद-फरोख्त को रोकने के लिए और सरकार बनाने के लिए चुनाव सबसे बड़े गठबंधन को आमंत्रित करने का आग्रह किया।

सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने त्रिशंकु संसद होने की स्थिति में भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और मुख्य चुनाव आयुक्त से भी यह आग्रह किया है कि यदि वर्तमान सत्तारूढ़ सरकार लोगों का जनादेश खो देती है तो सत्ता का सुचारु परिवर्तन सुनिश्चित करके संविधान को बरकरार रखा जाए। ”वास्तविक चिंता” है कि यदि वर्तमान सत्तारूढ़ सरकार लोगों का जनादेश खो देती है, तो सत्ता परिवर्तन सुचारू नहीं हो सकता है और संवैधानिक संकट पैदा हो सकता है।

ज्ञात हो कि राहुल गांधी द्वारा भारत जोड़ो यात्रा और बाद के न्याय यात्रा में भी देश में नफरत है का एक नरेटिव फैलाया गया। लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही कांग्रेस और INDI गठबंधन की जनसभाओं और रैलियों में मुख्यरूप से राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने चुनाव परिणाम 4 जून के बाद देश में हिंसा होने की चेतावनी देते नजर आए।

अब इसी भाजपा विरोधी नरेटिव को कांग्रेस समर्थक पूर्व जजों का समूह जनमानस में डर, आशंकाओं और विभ्रम की स्थिति पैदा करने के लिए आगे बढ़ाते हुए पूर्व सिविल सेवकों के संवैधानिक आचरण समूह CCG के 25 मई के खुले बयान से सहमति जताते हुए कहा रहा है कि “हम अपने पत्र में ऐसा होता हुआ देख रहे हैं और पत्र लिखने के लिए बाध्य हैं कि ‘त्रिशंकु संसद की स्थिति में, कठिन जिम्मेदारियां भारत के राष्ट्रपति के कंधों पर रखा जाएगा। हमें यकीन है कि वह पहले चुनाव पूर्व गठबंधन को आमंत्रित करने की स्थापित लोकतांत्रिक मिसाल का पालन करेंगी जिसने सबसे अधिक सीटें हासिल कीं। साथ ही, वह खरीद-फरोख्त की संभावनाओं को रोकने का प्रयास करेंगे।

पूर्व जजों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और मुख्य चुनाव आयुक्त से कह रहा है कि “हम, उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं, जिनका किसी भी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है, लेकिन संविधान में निहित आदर्शों और चुनावी लोकतंत्र के मूल्यों के प्रति दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं, हाल की और वर्तमान घटनाओं पर गहरी पीड़ा से 2024 के संसदीय चुनावों के संबंध में यह खुला पत्र लिख रहे हैं। पिछले हफ़्तों में कई घटनाएं बहुत गंभीर कहानी बयां कर रही हैं। जिसका अंत संभवतः एक ” हिंसक निष्कर्ष ” पर हो सकता है। ये हमारे अधिकांश लोगों के मन में “वास्तविक आशंकाएं” हैं। प्रतिष्ठित नागरिक और मानवाधिकार संगठनों और कार्यकर्ताओं ने भी यही आशंका व्यक्त की है। ”

राष्ट्रपति को लिखे पत्र में पूर्व न्यायधीशों ने कहा है कि चुनाव आयोग ने प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के प्रत्येक बूथ पर डाले गए वोटों की सटीक संख्या का खुलासा करने और चुनाव नियमों के संचालन के फॉर्म 17 (सी) को जनता के लिए उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया है, साथ ही अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाले नफरत फैलाने वाले भाषण के खिलाफ न्यूनतम कार्रवाई की है। सत्तारूढ़ दल के वरिष्ठ नेताओं द्वारा विपक्षी दलों का विरोध प्रमुख चिंता का विषय है।

पूर्व न्यायधीशों ने पत्र में आगे कहा है कि संविधान और लोकतंत्र की रक्षा और संरक्षण के लिए अंतिम प्राधिकारी होने के नाते सुप्रीम कोर्ट को “किसी भी संभावित तबाही को रोकने या मतगणना और परिणामों की घोषणा के दौरान उत्पन्न होने वाली किसी भी भयावह स्थिति से निपटने के लिए सक्रिय कार्रवाई करने के लिए तैयार रहना चाहिए। हम, एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य के नागरिक के रूप में भारत के लोग सुप्रीम कोर्ट से आह्वान करते हैं कि मौजूदा गर्मी की छुट्टियों की अवधि के दौरान भी सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष पांच सम्मानित न्यायाधीशों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए और वर्तमान स्थिति में उभरने वाले किसी भी संवैधानिक संकट की स्थिति में प्रतिक्रिया देने के लिए उपलब्ध रहें। इसलिए, हम विनम्रतापूर्वक लोकतांत्रिक सरकार के गठन की प्रक्रिया की अखंडता के लिए जिम्मेदार प्रत्येक अधिकारियों और संस्थानों को संविधान का पालन करने और उसे बनाए रखने के उनके सर्वोपरि कर्तव्य की याद दिलाना चाहते हैं।”

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