पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न से विभूषित प्रणब मुखर्जी ने संस्मरणों पर आधारित एक चर्चित किताब ‘गठबंधन के वर्ष’ The CoalitionYears(2017) में लिखा है। अपने इस पुस्तक में संस्मरण में प्रणव मुखर्जी ने वर्ष 2014 के बाद 2015 के एक समारोह में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी जी के बारे में एक घटना को याद करते हुए उल्लेख किया है।
भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी लिखते हैं कि मोदीजी के कार्यकाल के एक वर्ष पूर्ण होने पर, जब मैंने उनके कार्य की प्रशंसा की। एक राष्ट्रपति पद पर आसीन होने के नाते सरकार के कार्यों पर निष्पक्ष टिप्पणी और राय रखनी होती है। यह पार्टी और दल से अलग होती है जो राष्ट्रपति पद की गरिमा के अनुसार जरूरी है। तब से सोनिया जी मुझ से नाराज़ थी …..एक बार संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद मेरा और उनका आमना सामना हुआ …..उनके साथ आये आजाद और अय्यर जी ने मुझे अभिवादन किया,पर सोनिया जी चाहती थी कि मैं पहले उन्हें अभिवादन करूँ ..वे भूल रही थीं आप भारत के राष्ट्रपति के सामने है ना कि प्रणब मुखर्जी के सामने। मुझे ये बात अन्दर तक चुभ गई कि जो व्यक्ति भारत के प्रथम व्यक्ति का सम्मान नहीं करता वह गुलाम पसंद है और मैं इस गुलामी से आजाद होना चाहता था..शायद !