नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने ममता और पवार के साथ कम्यूनिस्ट पार्टी को बड़ा झटका देते हुए, TMC, NCP और CPI अब राष्ट्रीय पार्टियां का दर्जा छिन लिया गया। किंतु AAP को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्रदान किया गया है।

चुनाव आयोग ने यूपीए के इन सहयोगियों से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस ले लिया है। किंतु केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल गया है। एनसीपी और एआईटीसी को नागालैंड और मेघालय में राज्य दलों के रूप में मान्यता दी जाएगी।

इसके अलावा कुछ पार्टियों जैसे लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को नागालैंड में एक राज्य पार्टी के साथ टिपरा मोथा पार्टी को त्रिपुरा में एक राज्य पार्टी के रूप में मान्यता मिली है। वहीं BRS को आंध्र प्रदेश में एक राज्य पार्टी के रूप में दर्जा नहीं मिल पाया।

उत्तर प्रदेश के RLD से भी चुनाव आयोग ने एक राज्य पार्टी का दर्जा वापस ले लिया है। रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी RSP को पश्चिम बंगाल में एक राज्य पार्टी के रूप में भी अमान्य किया गया। मेघालय में वॉइस ऑफ द पीपुल पार्टी को राज्य स्तरीय पार्टी के रूप में मान्यता हासिल हुआ।

तृणमूल कांग्रेस, एनसीपी और सीपीआई से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस लेने की वजह चुनाव आयोग ने देशभर में इन तीनों पार्टियों का वोट शेयर कानूनन 6 प्रतिशत से कम होना बताया है। इससे पहले बहुजन समाज पार्टी का भी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा वापस ले लिया गया था।

आम आदमी पार्टी इसलिए राष्ट्रीय पार्टी बनी क्योंकि उसे गुजरात, हिमाचल प्रदेश, गोवा और दिल्ली मिलाकर 13% से ज्यादा वोट शेयर हासिल हुआ।

राजनीतिक पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर दर्जा हासिल करने के लिए लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार राज्यों में 6% वोट हासिल करना जरूरी है। या राजनीतिक पार्टी को लोकसभा की कुल सीटों में से 2 फीसदी सीटें कम से कम तीन राज्यों से मिली हों। या फिर पार्टी को चार राज्यों में क्षेत्रीय दल का दर्जा मिल गया हो। इन तीनों में से कोई भी एक शर्त पूरी करने पर राजनीतिक दल को राष्ट्रीय दल का दर्जा मिल जाता है।

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