नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने NCP के असली दावेदार कौन है, के मामले में शरद पवार और अजीत पवार गुट बीच के विवाद पर 6 महीने से अधिक समय तक चली 10 से अधिक सुनवाई के बाद विवाद का निपटारा करते हुए अजीत पवार वाले गुट के पक्ष में फैसला सुनाया है। चुनाव आयोग ने अपने फैसले में कहा कि NCP गुट ने पार्टी संविधान के लक्ष्यों और उद्देश्यों के साथ संगठनात्मक और विधायी दोनों बहुमत के परीक्षण में सफल हुए हैं। शरद पवार गुट चुनाव आयोग के समक्ष अपना बहुमत साबित नहीं कर सके।

राजनीतिक संगठन व पार्टियों के मामले में ऐसा फैसला मुख्य रूप से तीन चीजों पर होता है। पहला, पार्टी के चुने हुए सांसद और विधायक किस समूह में अधिक हैं। दूसरा कि पार्टी कार्यालय के पदाधिकारी (executives) किसके पक्ष में ज्यादा हैं और तीसरा, संगठन की संपत्तियां किस ग्रुप के पास ज्यादा हैं। और इसका निर्णय आमतौर पर चुने हुए प्रतिनिधियों के बहुमत के आधार पर ही होता है। जिस गुट के पास ज्यादा सांसद-विधायक होंगे, उसे ही पार्टी माना जाता है। NCP में तथा शिवसेना में भी बहुमत के आधार पर ही फैसला किया गया।

अजित पवार गुट के पक्ष में चुनाव आयोग के समक्ष मुकुल रोहतगी, नीरज कौल, अभिकल्प प्रताप सिंह (एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड), श्रीरंग वर्मा, देवांशी सिंह, आदित्य कृष्णा, यामिनी सिंह वकीलों ने पक्ष रखा।

बीते वर्ष अजित की बगावत से NCP दो फाड़ हुई और अजित पवार ने महाराष्ट्र में शिंदे सरकार को समर्थन देने के साथ अजित के पक्ष के कई विधायक भी सरकार में शामिल हुए। इसके बाद अजित पवार ने पार्टी पर अपने गुट के अधिकार का दावा किया। जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने भी अजित पवार गुट को असली एनसीपी का फैसला दिया था। इस फैसले को शरद पवार गुट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

चुनाव आयोग के अजीत पवार गुट के पक्ष में दिए फैसले से इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले शरद पवार को बड़ा झटका लग सकता है। चुनाव आयोग ने कहा कि अजित पवार गुट को एनसीपी का नाम और चुनाव चिह्न इस्तेमाल करने का अधिकार है। इसके साथ ही EC राज्यसभा की 6 सीटों के लिए चुनाव की समय सीमा को ध्यान में रखते हुए ‘चुनाव संचालन नियम 1961 के नियम 39AA’ के तहत शरद पवार से नई पार्टी के गठन के लिए तीन नाम बुधवार शाम 3 बजे तक मांगे हैं।

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