रांची : कांग्रेस पार्टी नेता राहुल गांधी के समर्थन में लोकतंत्र बचाने के नारे लगाते हुए रांची में 26 मार्च को कम्यूनिस्ट पार्टी अपने संगठनों एपवा, आइसा, आदिवासी संघर्ष मोर्चा, फादर स्टैंड स्वामी न्याय मोर्चा, इंसाफ मंच, एआईपीएफ, भाकपा माले सहित कई जन संगठनों और बुद्धिजीवियों के साथ अल्बर्ट एक्का चौक पर प्रदर्शन किया।

प्रदर्शनकारी बीजेपी शासित केंद्र सरकार पर आरोप लगाते रहे कि लोकतंत्र पर हमला बढ़ गया है इसका प्रमाण है कि लोकसभा समिति के द्वारा राहुल गांधी की संसद सदस्यता खत्म कर दी गई है।

ज्ञात हो कि वर्ष 2019 में राहुल गांधी ने कर्नाटक के कोलार में एक जनसभा में भ्रष्टाचार पर बोलते हुए नीरव मोदी, ललित मोदी, अडानी आदि का नाम लेने के बाद कहा था कि “सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?” इसके खिलाफ सूरत विधायक पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज कराई थी। मोदी सरनेम के मामले में सूरत जिला कोर्ट ने 23मार्च को कांग्रेस नेता राहुल गांधी को 2 साल की सजा सुनाई थी।

भाकपा माले के नदीम खान ने कहा कि इस प्रदर्शन में झारखंड के जाने-माने लेखक सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवियों ने शामिल होकर लोकतंत्र को मजबूत किया है।

इस प्रदर्शन में एनजीओ एक्टिविस्ट कुमार विनोद ने कहा कि यह मामला सिर्फ राहुल गांधी की सदस्यता से खत्म करने का नहीं है। यह मामला है लोकतंत्र में लोगों की अभिव्यक्ति पर रोक लगाने का है। अगर भाजपा के खिलाफ या तानाशाह सरकार के खिलाफ अब कोई कुछ बोलेगा तो सरकार उसे या तो जेल में डाल देगी या फिर उसकी पहचान को खत्म करने की कोशिश कर रही है।

आदिवासी संघर्ष मोर्चा के जगन्नाथ उरांव ने कहा कि हम सभी को मिलकर के इस लोकतंत्र को बचाने के लिए एकजुट होकर कर अब आगे आना होगा और भाजपा जैसे सांप्रदायिक और अलोकतांत्रिक ताकतों को इस देश में खत्म करने के लिए जुट जाना होगा।

फादर स्टेन स्वामी न्याय मोर्चा के फादर टॉम ने कहा कि इस लोकतंत्र को बनाने में भारत के कई शहीदों ने अपनी जान दी है और लोगों ने अपनी आहुति देकर इस को बचा कर रखा है। इतनी आसानी से तानाशाही सरकार और पूंजीपतियों के हाथ में हम इस लोकतंत्र को बिकने या खत्म होने नहीं दे सकते हैं। इसीलिए आज हम सभी अल्बर्ट एक्का चौक पर जमा हुए हैं और हम किसी भी कीमत पर लोकतंत्र को खत्म नहीं होने देंगे और चाहे इसके लिए हमें इससे भी बड़ी लड़ाई में क्यों न जाना पड़े।

प्रदर्शन को संबोधित करते हुए माले शहर सचिव नंदीता भट्टाचार्य ने कहा कि भारत में तानाशाही सरकार ने मीडिया को गोदी मीडिया बना दिया। न्यायालय द्वारा भी अपने फैसले थोप कर फैसले दिलाने लगे। जैसे आप बिलकिस बानो और राहुल गांधी के केस में देख सकते हैं। और अब वह संसद पर भी हमला करने लगी है।

क्योंकि संसद पर अधिकार जन प्रतिनिधियों का हैं जिन्हें जनता ने चुनकर भेजा है। अब सरकार जनता के इस अधिकार पर चोट कर रही है। अब लोकतंत्र के खात्मे की और बढ़ती इस तानाशाही सरकार को सत्ता से हटाना जरूरी हो गया है।

इस प्रदर्शन में एआईपीएफ के नदीम खान, आदिवासी संघर्ष मोर्चा के तरफ से जगन्नाथ उरांव, राज कपूर, बुद्धू, शिवकुमार उरांव, इलियास हेमब्रम, अलमा खलखो, भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन की नेत्री एती तिर्की, सिंघी खलखो, गीता तिर्की, सुषमा गाड़ी, फादर स्टेन स्वामी न्याय मोर्चा के तरफ से फादर टॉम, प्रियंका सोरेन, टीना सोरेन, झारखण्ड आन्दोलनकारी नेता पुष्कर महतो, आइसा के राज्याध्यक्ष तरुण राज सिंह, भाकपा माले से सुरेंद्र राणा, भीम साहु, राजेंद्र पंडीत एवं अन्य शामिल थे।

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