कवि और कविता श्रृंखला में डॉ. प्रेरणा उबाळे की कविता निरंतर

कवि और कविता श्रृंखला में डॉ. प्रेरणा उबाळे की कविता निरंतर

‘कवि और कविता’ श्रृंखला में डॉ. प्रेरणा उबाळे की कविता ‘निरंतर …’

निरंतर– डॉ प्रेरणा उबाळे

आभास होता निरंतर
हर क्षण जीवन में 
अद्भुत-अलौकिक
शक्ति का।

व्याप्त  ब्रम्हांड
धरा विस्तृत
नयन न देख
पाते कभी।
पर निरंतर
सुख की हँसी
दुःख की घडी में,
शांति-प्रियता,
दीर्घ कटुता में
अनुभव होता
स्पर्श दिव्य
कर वात्सल्य का।

प्रेम से सिक्त
विघ्नों से मुक्त करता
आशीषों से उन्नत कर
ज्ञान का बोध देता।

कामना है निरंतर
जीवन दिया जिसने
नत उस नेति नेति के
सुनाई देता
नाद अनहद
हो  मंगल 
हो नंदन चिरंतन
हो श्रेयस
हो प्रेयस निरंतर ll

डॉ. प्रेरणा उबाळे (लेखिका, कवयित्री, अनुवादक, आलोचक, सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभागाध्यक्षा, मॉडर्न कला, विज्ञान और वाणिज्य महाविद्यालय (स्वायत), शिवाजीनगर, पुणे-411005, महाराष्ट्र) @Dr.PreranaUbale

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *