मुजफ्फरपुर, 6 जुलाई 2022: बिहार के प्रोफ़ेसर ललन कुमार का कॉलेज के वेतन लौटने की खबर अब बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ी कर दी है और बिहार के विकास के लिए गंभीरता से चिंता करने वाले अब इसे बिहार का महत्वपूर्ण मुद्दा बनाने की चर्चा कर रहे हैं। प्रोफ़ेसर ललन कुमार के इस कार्य से बिहार में शिक्षा व्यवस्था पर लगातार सवाल उठ रहे हैं, कहीं स्कूल का इन्फ्रासट्रक्चर तो कहीं कॉलेज में पढ़ाई नहीं होना मुद्दा बनता रहा है।
मुजफ्फरपुर के भीमराव अम्बेडकर बिहार यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने अपनी तीन साल की सैलरी 23 लाख 82 हजार 228 रुपए यूनिवर्सिटी को लौटा यह बोलते हुए लौटा दी कि पढ़ाई नहीं तो तनख्वाह नहीं। ललन कुमार ने कहा कि 4 बार आवेदन दे चुका हूं कि मेरा तबादला कर दिया जाए क्योंकि मेरे कॉलेज में पढ़ाई नहीं होती है। मैंने आवेदन लिखकर मांग की है कि पी.जी. डिपार्टमेंट, एल.एस. कॉलेज या आर.डी.एस. कॉलेज में तबादला कर दिया जाए ताकि मैं बच्चों को पढ़ा सकूं क्योंकि इन कॉलेजों में पढ़ाई होती है। मैं चाहता हूं कि अपने ज्ञान से बच्चों को रोशन कर सकूं ताकि ज्ञान का सदुपयोग हो सके। लेकिन कई बार आवेदन देने के बाद भी तबादला नहीं किया गया।। इससे परेशान होकर अपनी तीन साल की तन्ख्वाह वापस करते हुए इस्तीफ़े की पेशकश कर दी।
सहायक प्रोफेसर ललन कुमार ने बी.आर.ए. यूनिवर्सिटी के तत्कालीन वाइस चांसलर राजकुमार मंडिर पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि रैंक और मैरिट को दरकिनार करते हुए उन्होंने कम अंक वाले लोगों को पीजी और बेहतरीन कॉलेज दिए। लेकिन बेहतर रैंक और अच्छे मेरिट वालों को ऐसे कॉलेज दिए गए जहां पढ़ाई ही नहीं होती है। उन्होंने कहा कि तीन सालों में छह बार पोस्टिंग हुई लेकिन जिस कॉलेज में गया वहां किसी प्रकार की पढ़ाई ही नहीं होती है।
प्रोफेसर ललन कुमार ने कहा कि मैंने अपनी अंतरात्मा की सुनते हुए मुझे मिली तीन साल की तनख्वाह को विश्विविद्यालय को लौटाने का फ़ैसला लिया है। 25 सितंबर 2019 से मई 2022 तक मिली पूरी सैलरी यूनिवर्सिटी को वापस कर दिया है। मेरे कॉलेज में छात्रों की तादाद जीरो है, इस वजह से मैं चाहकर भी अपने दायित्व को नहीं निभा पा रहा हूं, बिना काम के सैलरी लेना मेरे नैतिकता के खिलाफ है।
राष्ट्रपति से एकेडमिक एक्सिलेंस अवार्ड सहायक प्रोफेसर ललन कुमार को मिल चूका है, उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिन्दू कॉलेज से ग्रेजुएशन और जेएनयू से पीजी की पढ़ाई की है। इन दोनों जगहों में वे यूनिवर्सिटी टॉपर रहे हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी से एमफिल और पीएचडी भी की है। उनका आरोप है कि नितिश्वर कॉलेज में छात्र दाखिला तो ज़रूर लेते हैं लेकिन सिर्फ़ परीक्षा देने के लिए आते हैं। ऐसे सारे विद्यार्थी कॉलेज से नदारद रहते हैं।
राम कृष्ण ठाकुर (यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार) ने बताया कि किसी भी प्रोफेसर से सैलरी वापस लेने का किसी तरह का कोई प्रावधान नहीं है, अभी ललन कुमार का चेक और इस्तीफ़ा क़बूल नहीं किया गया है। मामले को गंभीरता से लिया गया है और शिकायत की जांच कराई जाएगी। कॉलेज प्रिंसिपल को तलब कर पूरी जानकारी ली जाएगी। इसके साथ ही ललन कुमार जिस कॉलेज में तबादला चाहते हैं उन्हें तत्काल वहां डेप्युटेशन दे दिया जाएगा। (साभार)