डॉ.-राममनोहर-लोहिया-रिसर्च-फाउंडेशन, Gaya

डॉ.-राममनोहर-लोहिया-रिसर्च-फाउंडेशन, Gaya

गया : डॉ. राममनोहर लोहिया रिसर्च फाउंडेशन 19दिसंबर को गया के आयोजन में संस्था के अध्यक्ष अभिषेक रंजन सिंह ने कहा कि डॉ. राममनोहर लोहिया का साहित्य अगर देश के समक्ष है, तो उसका महत्वपूर्ण श्रेय बदरीविशाल पित्ती को जाता है। वे जीवनपर्यंत डॉ. लोहिया के साहित्य के संरक्षण एवं उसके प्रचार-प्रसार में संलग्न रहे। आज अगर डॉ. राममनोहर लोहिया रिसर्च फाउंडेशन, लोहिया साहित्य की तलाश एवं उसका पुनर्प्रकाशन पित्ती जी की प्रेरणा से कर रहा है।

इस कार्यक्रम में अभिषेक रंजन ने कहा कि छात्र – नौजवानों के बीच डॉ. लोहिया काफी लोकप्रिय हैं। मौजूदा वक्त में फिल्म, ई-बुक के जरिए लोहिया साहित्य को विश्वव्यापी बनाया जा सकता है। डॉ. राममनोहर लोहिया रिसर्च फाउंडेशन पिछले पांच वर्षों से इस दिशा में प्रयत्नशील है। पिछले वर्ष डॉ. लोहिया की अगुवाई में हुए गोवा क्रांति दिवस की 75वीं वर्षगांठ में मडगांव में दो दिवसीय राष्ट्रीय विचार मंथन का आयोजन किया गया।

बीते महीने 19–20 नवंबर को गुवाहाटी में तृतीय राष्ट्रीय विचार मंथन का आयोजन हुआ। अगले वर्ष दिसंबर में खरसांवा गोलीकांड के 75वें वर्ष पर रांची में चतुर्थ राष्ट्रीय विचार मंथन का आयोजन किया जाएगा। इन सभी सम्मेलनों में डॉ. लोहिया से जुड़ी पुस्तकें एवं फिल्म का लोकार्पण किया जाता है, ताकि नौजवान पीढ़ी डॉ. लोहिया के विचारों से रूबरू हो सके।

शहर के होटल न्यू एमआई प्लाजा में डॉ. लोहिया के अनन्य अनुयायी बदरीविशाल पित्ती की 19वीं पुण्यतिथि पर परिसंवाद का आयोजन किया गया। इस अवसर पर डॉ. राममनोहर लोहिया रिसर्च फाउंडेशन, नई दिल्ली द्वारा डॉ. लोहिया की दुर्लभ एवं ऐतिहासिक पुस्तक ‘द स्ट्रगल फॉर सिविल लिबर्टीज’ का अंग्रेजी व हिंदी संस्करणों, स्मारिका और डॉ. लोहिया का उर्वशीयम नामक एक लघु फिल्म का लोकार्पण किया गया।

पुस्तक विमोचन और फिल्म स्क्रीनिंग पूर्व विधायक रामचंद्र प्रसाद सिंह, डॉ. राममनोहर लोहिया रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष अभिषेक रंजन सिंह, राष्ट्र सेवा दल के अध्यक्ष कारू जी, लोहिया फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. मुन्द्रिका प्रसाद नायक, रामलखन भगत जी की उपस्थिति में संपन्न हुआ।

लोहिया फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. मुन्द्रिका प्रसाद नायक ने अपने स्वागत भाषण में बदरीविशाल पित्ती की 19वीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देश में लोहिया साहित्य के प्रचार-प्रसार में बदरीविशाल पित्ती जी का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। देश के लोगों को लोहिया जी के विचारों से परिचित कराने में बदरीविशाल जी ने भगीरथ प्रयास किया। राष्ट्र सेवा दल के कारू जी ने कहा कि हम सभी लोग हैदराबाद से प्रकाशित मैनकाइंड, जन और कल्पना जैसी पत्रिकाएं पढ़कर बड़े हुए। इन सभी पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन बदरीविशाल पित्ती करते थे।

समाजसेवी रामलखन भगत के मुताबिक, वैचारिक समाजवाद की जड़ें मजबूत करने में डॉ. लोहिया और बदरीविशाल पित्ती ने अप्रतिम भूमिका निभाई। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि डॉ. राममनोहर लोहिया रिसर्च फाउंडेशन डॉ. लोहिया और बदरीविशाल जी की प्रेरणा से उनके दुर्लभ साहित्यों की खोज, अंग्रेजी व हिंदी समेत विभिन्न भारतीय भाषाओं में उसका पुनर्प्रकाशन कर रहा है। जिससे देश की नई पीढ़ी डॉ. लोहिया एवं उनके समाजवादी आंदोलन से परिचित हो रहे हैं।

भारतीय किसान संघ से जुड़े बृजकिशोर सिंह ने कहा कि डॉ. लोहिया की सांस्कृतिक दृष्टि व्यापक थी। जानकारी के अभाव में ज्यादातर लोग उन्हें नास्तिक समझते थे, लेकिन राम, कृष्ण और शिव का उन्होंने जो वर्णन किया वह भारतीय साहित्य के लिए एक धरोहर है।

समाजवादी कार्यकर्ता रामेश्वर प्रसाद यादव ने कहा कि मगध की धरती पर डॉ. लोहिया का आगमन कई बार हुआ है। शेरघाटी में तो सोशलिस्ट पार्टी का राष्ट्रीय अधिवेशन भी आयोजित हुआ। टिकारी प्रखंड में भी डॉ. लोहिया आए और यहां उन्होंने ऐतिहासिक भाषण दिया। बदरीविशाल पित्ती की पुण्यतिथि पर स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि समाजवादी आंदोलन में तुलसीदास और कबीर की भूमिका उन्होंने निभाई।

प्रो. राधेश्याम प्रसाद सिंह ने कहा कि डॉ. राममनोहर लोहिया पर बनी फिल्म उर्वशीयम और उनपर केंद्रित स्मारिका और पुस्तकों को पढ़ने के बाद यह जरूर कहा जा सकता है कि डॉ. लोहिया के विचार पहले से अधिक प्रासंगिक हैं। इस अवसर पर पूर्व मुखिया अनिल यादव, सीताराम प्रसाद सिंह, राजकुमार पासवान, सत्यनारायण मिस्त्री, मुकेश वर्मा, प्रो. तौसीफुर रहमान खान और शोध छात्र विपिन कुमार आदि ने अपने विचार प्रकट किए। धन्यवाद ज्ञापन लोहिया फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. मुन्द्रिका प्रसाद नायक ने किया।

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