22 जनवरी 2024 को विश्व इतिहास में भारत के बहुसंख्यक हिंदू समाज में आस्था और चेतना की पुनर्स्थापना के लिए याद किया जाएगा। प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को भारतीय शहर अयोध्या में एक विशाल नए मंदिर का उद्घाटन किया, एक लंबे अभियान का समापन किया जिसमें हिंदू राष्ट्रवादियों ने सदियों के संघर्ष के बाद आक्रांता बाबर द्वारा निर्मित मस्जिद की जगह राम मंदिर का निर्माण हुआ।

अयोध्या एक सौंदर्यपूर्ण और अद्वितीय प्रकार के सांस्कृतिक परिदृश्य और विरासत परिदृश्य का प्रतिनिधित्व करता है जिसमें ऐतिहासिक स्मारक, कलाकृतियाँ, घाट, पानी के कुंड, पारंपरिक प्रदर्शन, पौराणिक कथाएँ और विश्वास, रीति-रिवाज, लोककथाएँ, उत्सव, तीर्थयात्राएँ और अन्य मूर्त और अमूर्त सांस्कृतिक विरासतें शामिल हैं।

रामायण में इस्लाम का उल्लेख नहीं है, क्योंकि यह भारत में केवल 1,000 वर्ष पहले आया था। इस्लाम ने अपने को भारत के इतिहास में हिंदू-राष्ट्रवादी चेतना के विरुद्ध में खलनायक के रूप में प्रस्तुत किया है। अब श्रीराम मंदिर उद्घाटन के साथ ही भारत की चेतना आध्यात्मिक और राजनीतिक रूप से पुनः स्थापित हो रही है जिसके दूरगामी परिणाम होंगे। यह मंदिर केवल राम प्रचारकों के लिए ही नहीं बल्कि उन सभी के लिए महत्वपूणा है जिसकी वे सदियों से तलाश कर रहे थे, भारत की चेतना को जागृत करने के लिए। विशेष रूप से दुनिया भर में हमारी युवा पीढ़ी, जो आधुनिक जीवन शैली के प्रभाव से जुड़ रही थी, उनके जीवन में भारतीय संस्कृति और जीवन शैली का प्रभाव और दृष्टिकोण होगा।

अयोध्या में एक भव्य मंदिर के लिए राम जन्मभूमि आंदोलन की समयावधि चार शताब्दियों से अधिक समय से चल रही है, जिसमें रक्तपात के बीच कई मील के पत्थर भी शामिल हैं। इस आंदोलन ने पिछले तीन दशकों में भारतीय राजनीति की दिशा बदल दी। भारत में तथाकथित सेकुलर जो राम को काल्पनिक बताते थे और बाबरी मस्जिद के स्थान पर अस्पताल बनाने की वकालत कर रहे थे, अब उनके लिए स्टैंड लेना मुश्किल हो गया है और उनमें से कुछ लोग राम के भजन गाने के लिए मजबूर हैं और वे मंदिरों में प्रवेश पाने की कोशिश कर रहे हैं। लगातार राजनीतिक और अराजनीतिक प्रयासों की बदौलत, एक भव्य राम मंदिर अब भारत के लोगों और दुनिया में भारतीय प्रवासियों को समर्पित है।

जिस कड़वे विवाद ने राम जन्मभूमि आंदोलन को जन्म दिया, वह ऐतिहासिक तथ्यों और विश्वास पर केंद्रित था कि मुगल सम्राट बाबर ने भगवान राम के जन्मस्थान को चिह्नित करने वाले मंदिर को नष्ट करने के बाद बाबरी मस्जिद का निर्माण किया था, और यह दावा अदालत में सही साबित हुआ। मान्यता के अनुसार भगवान राम का जन्म ठीक उसी स्थान पर हुआ था जहां मस्जिद का केंद्रीय गुंबद स्थित था। इस बीच, मुस्लिम संगठनों ने विरोध किया कि मस्जिद का निर्माण 1528 में बाबर के कमांडरों में से एक मीर बाकी ने बिना किसी पूजा स्थल को ध्वस्त किए और भूमि के अधिकार किसी और को हस्तांतरित किए बिना किया था।

भारत के इतिहास में यह दुर्भाग्यपूर्ण राजनीतिक हिस्सा याद रखा जाएगा कि आजादी के बाद 1947 से 1990 तक बाबरी मस्जिद के स्थान पर राम मंदिर के निर्माण के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति कमजोर थी। राम भक्तों, विश्व हिंदू परिषद और भाजपा के श्री लाल कृष्ण आडवाणी एवं अन्य नेताओं ने आंदोलन के माध्यम से आम जनमानस को इसके लिए प्रेरित किया और इसका परिणाम हम सबके सामने राम मंदिर के रूप में मिला।

जो लोग आर्थिक विकास की बात करते हैं उनको यह समझाना चाहिए कि राम मंदिर निर्माण के बाद अयोध्या और उसके आसपास की अर्थव्यवस्था कई गुना बढ़ जाएगी क्योंकि यह लाखों पर्यटकों को राम मंदिर देखने के अब अयोध्या पूरी तरह तैयार है। इससे मोदी और वर्तमान उत्तर प्रदेश की सरकार को व्यापारियों के बीच समर्थन मजबूत करने में मदद मिल सकती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, अयोध्या में राम मंदिर प्रति वर्ष 50 मिलियन से अधिक पर्यटकों को आकर्षित कर सकता है, जिससे अयोध्या और आसपास की जगह की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।

धार्मिक पर्यटन अभी भी भारत में पर्यटन का सबसे बड़ा खंड है। कई लोकप्रिय धार्मिक केंद्र मौजूदा बुनियादी ढांचे की बाधाओं के बावजूद 10-30 मिलियन वार्षिक पर्यटक यातायात को आकर्षित करते हैं। और इसलिए, बेहतर कनेक्टिविटी के साथ एक नए धार्मिक पर्यटन केंद्र (अयोध्या) का निर्माण किया गया है। बुनियादी ढाँचा एक सार्थक रूप से बड़ा आर्थिक प्रभाव पैदा कर सकता है।

राम मंदिर भारतीय जनता पार्टी के लिए अपने राजनीतिक और सामाजिक एजेंडे के मद्देनजर बिना किसी समझौते के अपने एजेंडे पर आगे बढ़ने का एक उदाहरण है। – अनुग्रह नारायण सिंह (सह-संयोजक RTI Cell, बिहार प्रदेश, भारतीय जनता पार्टी)

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