‘कवि और कविता (http://कवि और कविता)’ श्रृंखला में डॉ. प्रेरणा उबाळे की कविता “परायापन” …

परायापनडॉ. प्रेरणा उबाळे

गैरों पर विश्वास करने की अपेक्षा
अपनों पर विश्वास करना
होता है कठिन

गैरों से मिले दुर्व्यवहार से अधिक
अपनों ने दिया परायापन
होता है असहनीय

परायेपन की यह टीस
चुभती है काँटों की तरह
मृत्यु से कई गुना
देती रहती है दर्द ।

डॉ. प्रेरणा उबाळे (1 जून 2024)

डॉ. प्रेरणा उबाळे (लेखिका, कवयित्री, अनुवादक, सहायक प्राध्यापक, हिंदी विभागाध्यक्षा, मॉडर्न कला, विज्ञान और वाणिज्य महाविद्यालय (स्वायत), शिवाजीनगर पुणे-411005, महाराष्ट्र)

4 thoughts on “परायापन – डॉ. प्रेरणा उबाळे

  1. हक़ीक़त बयान की है डाॅ प्रेरणा जी. इसी तरह लिखते रहिए.
    अल्लाह करे ज़ोरे क़लम और ज़ियादा!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *