‘कवि और कविता (http://कवि और कविता)’ श्रृंखला में डॉ. प्रेरणा उबाळे की कविता “परायापन” …
■ परायापन – डॉ. प्रेरणा उबाळे
गैरों पर विश्वास करने की अपेक्षा
अपनों पर विश्वास करना
होता है कठिन
गैरों से मिले दुर्व्यवहार से अधिक
अपनों ने दिया परायापन
होता है असहनीय
परायेपन की यह टीस
चुभती है काँटों की तरह
मृत्यु से कई गुना
देती रहती है दर्द ।
– डॉ. प्रेरणा उबाळे (1 जून 2024)
नायाब अभिव्यक्ति
thank you
हक़ीक़त बयान की है डाॅ प्रेरणा जी. इसी तरह लिखते रहिए.
अल्लाह करे ज़ोरे क़लम और ज़ियादा!
thank you