France Nahel Islamophoboia

France Nahel Islamophoboia

  • अरुण प्रधान

फ्रांस में मुस्लिम शरणार्थियों द्वारा भीषण हिंसा और आगजनी के बीच अब यूरोपीय देशों में शरणार्थियों को लेकर सवाल उठने लगे हैं। सवाल पूछे जाने लगे हैं कि क्या बेलगाम संख्या में शरणार्थियों को शरण दे कर यूरोपीय देशों ने बहुत बड़ी गलती कर दी ? क्या फ्रांस में मुस्लिमों की आबादी इतनी है ? क्या वास्तव में फ्रांस के इस्लामीकरण की शुरूआत हो चुकी है ? क्या फ्रांस की घटना सच नहीं बल्कि सिर्फ इस्लामोफोबिया है?

फ्रांसीसी पुलिस द्वारा 17 वर्षीय मुस्लिम लड़के नाहेल की हत्या के बाद पूरे फ्रांस में मुस्लिम शरणार्थियों द्वारा हिंसा और उत्पात मचाया जा रहा है। फ्रांस में करोड़ों की सरकारी संपत्ति को फूंकने के साथ ही फ्रांस की सबसे बड़ी लाइब्रेरी को भी इन मुस्लिम शरणार्थी दंगाइयों ने जलाकर स्वाहा कर दिया। फ्रांस की उन तस्वीरों और वीडियो देखकर लगता है कि इस यूरोपीय देश फ्रांस में कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गई, असभ्यता की छाप चारों ओर फैली है।

इन दशकों में फ्रांस में एक महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय परिवर्तन हुआ। फ्रांस, जो एक धर्मनिरपेक्ष देश है, वहां हाल के वर्षों में इस्लामी चरमपंथी हमलों में तेज इजाफा हुआ है। इसका कारण है कि खासकर मुस्लिम प्रवासियों की संख्या में बेतहाश वृद्धि है। जो कि फ्रांस में लागू प्रवासन कानूनों का प्रत्यक्ष परिणाम है। फ्रांस में पिछले 25 वर्षों में मुस्लिमों की संख्या दोगुनी हो गई है। पिछले कुछ दशकों में फ्रांस में अल्जीरिया, मोरक्को, ट्यूनीशिया और उप-सहारा अफ्रीका से मुस्लिम शरणार्थियों को शरण दी गई। जनसंख्या के आंकड़ों के मुताबिक फ्रांस में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़कर लगभग 60 लाख हो गई। जो कुल फ्रांसीसी आबादी का 8 से 9% के करीब है। लगभग 90% फ्रांसीसी मुसलमान इस्लाम का पालन करते हैं। आनेवाले कुछ थोड़े वर्षों में यूरोप में सामाजिक राजनीतिक सांस्कृतिक युद्धों में फ्रांसीसी मुसलमानों की बड़ी भूमिका होगी।

फ्रांस की मुस्लिम आबादी प्रतिवर्ष 17% की दर से बढ़ रही है। आंकड़े बताते हैं कि प्रतिवर्ष 1,00,000 से ज्यादा फ्रांसीसी नागरिक इस्लाम अपना रहे हैं, जिनमें 40 वर्ष से कम उम्र के आसपास के फ्रांसिसी नागरिक अधिक हैं। मामले के विशेषज्ञों का कहना है कि वर्ष 2050 तक फ्रांस में मुसलमानों की संख्या जर्मनी या ब्रिटेन से ज्यादा हो जाएगी। फ्रांस में रहने वाले 25 प्रतिशत से ज्यादा की ईसाई आबादी में से सिर्फ 5 प्रतिशत ही ईसाई धर्म से जुड़े हुए हैं। ये लोग सिर्फ कहने के लिए ईसाई है, क्योंकि यहां तेजी से धर्म परिवर्तन proselytism हो रहा है।

फ्रांस में मुस्लिम आबादी इस्लाम की आलोचना पर हमला कर रहे हैं। बच्चे शिक्षक की गर्दन रेत रहे हैं। मुस्लिम शरणार्थी पार्क में बच्चों पर जानलेवा हमला कर रहे हैं। बात बात पर शहर में दंगा कर रहे हैं, शहर को और फ्रांस की संस्कृति को आग के हवाले कर रहे हैं।

हालांकि फ्रांस का कोई राष्ट्रीय धर्म नहीं है। लेकिन मुस्लिम शरणार्थियों की आबादी को ध्यान में रखते हुए फ्रांस के राजनीतिक क्षेत्र में भी अब धर्म और धार्मिक समूहों को भारत के राजनीतिक पार्टियां की तरह ही महत्व दिया जाने लगा है। अब फ्रांस में मुसलमानों की बढ़ती संख्या देश में चुनावी अभियानों, नीतिगत फैसलों और सार्वजनिक चर्चा को प्रभावित कर रहा है। फ्रांस की मुख्य विपक्षी नेता मैरीने ले पेन, जो पिछली बार काफी कम मतों से चुनाव हार गईं थीं, इस बार वह इस दंगे को अगले चुनाव में भुनाने की कोशिश करेंगी और यह छवि उन्हें चुनावी जीत भी दिला सकती है। ऐसे हालात में फ्रांस में आने वाले समय में इस तरह के दंगे-फसाद होना आम बात हो सकता है।

इस्लाम एक ऐसा धर्म है, जो परंपरागत रूप से अतिवाद से संबंधित है, लिहाजा इसकी प्रवृत्ति अब आतंकी और दंगाई हो चुकी है। इसे ध्यान में रखते हुए फ्रांस की इमैनुएल मैक्रों की सरकार ने ‘फोरम ऑफ इस्लाम‘ बनाकर इस्लाम को उसकी चरमपंथी पहचान से छुटकारा दिलाने की पहल की। ‘फोरम ऑफ इस्लाम’ का लक्ष्य इस्लाम को नियंत्रित करने वाली एक संस्था बनाकर, पश्चिमी यूरोप में सबसे बड़े मुस्लिम समुदाय का नेतृत्व करना है। जो फ्रांसीसी मुसलमानों पर विदेशी प्रभाव को खत्म कर सके।

इसका उद्देश्य फ्रांस के मुस्लिम संगठनों और मस्जिदों को इस्लामिक देशों से दूर रखना भी है। और, यह सुनिश्चित करना है कि फ्रांस में मुस्लिम रितिरिवाज सार्वजनिक जीवन में देश की धर्मनिरपेक्षता के अनुरूप हों। इस ‘इस्लाम का मंच’ में फ्रांसीसी सरकार द्वारा चुने गए प्रभावशाली इमामों, बुद्धिजीवियों, नेताओं, व्यापारियों के साथ इस फोरम का एक चौथाई हिस्सा महिलाओं का होगा। कई विशेषज्ञों ने कहा कि राष्ट्रपति मैक्रों का ‘फोरम ऑफ इस्लाम’ का प्रयोग सफल हो सकता है। लेकिन मुस्लिम शरणार्थियों द्वारा किए गए इन दंगों ने इस पर सवालिया निशान लगा दिया है।

दूसरीओर, इस फोरम को लेकर फ्रांसीसी मुसलमानों को इस्लामोफोबिया की तीव्र गंध महसूस होने लगी है। फ्रांसिसी मुसलमान कहने लगे हैं कि ‘इस्लाम का मंच’ फ्रांस में संस्कृति के नुकसान की चिंता को रेखांकित करता है और यह मंच आप्रवासी मुसलमान विरोधी भावनाओं पर भी आधारित है। इसके लिए फ्रांसिसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की भारी आलोचना हुई और इसके विरोध में राजधानी पेरिस समेत फ्रांस के कई हिस्सों में मुस्लिमों ने हिंसक प्रदर्शन किए थे।

फ्रांस में इस्लाम के विस्तार से फ्रांस के आमजीवन पर गहरे राजनीतिक प्रभाव पड़ रहे हैं। पारंपरिक फ्रांसीसी नागरिकों ने फ्रांसीसी मूल्यों और संस्कृति पर इसके प्रभाव पर विचार करना शुरू कर दिया है। यूरोप की खुली सीमा नीति, जिसका उद्देश्य यूरोपीय संघ के भीतर आवाजाही की स्वतंत्रता को बढ़ावा देना है। इसके कारण फ्रांस में बड़ी संख्या में शरणार्थी मुसलमानों की आबादी जमा होती गई। शरणार्थी मुसलमानों की बढ़ती संख्या से अब फ्रांस में बढ़ते धर्म परिवर्तन का भारी विरोध होना शुरू हो गया है और देश में गुस्सा बढ़ता जा रहा है।

मुस्लिम 17 वर्षीय नाहेल की पुलिस द्वारा हत्या के बाद से फ्रांस को जलाकर राख करने वाले दंगों से फ्रांस से निकल रहे आंकड़े साफ साफ संकेत दे रहे हैं कि फ्रांस मुस्लिम बहुल देश बनने की ओर अग्रसर है। पिछले पांच दिनों से जिस तरह से दंगे हो रहे हैं, उसने दुनिया को स्पष्ट संकेत दे दिया है कि मुस्लिम समुदाय को कुरान छोड़ कर किसी भी देश की कानून व्यवस्था और संस्कृति तथा रितिरिवाज को लात मारने में समय नहीं लगेगा। क्योंकि इन्हें उस देश के उन मूल्यों से कोई सरोकार नहीं है। ये आपकी ही लोकतांत्रिक व्यवस्था और संविधान की ओट में आपको खत्म कर रहे हैं।

भारत में जिस प्रकार धर्मनिरपेक्षता के नाम पर काँग्रेस और अन्य राजनीतिक दल सत्ता को वंशाधिकार मंशा से कब्जाने के लिए ख़तरनाक पैंतरे खेलते हैं, उससे भारत में संकीर्ण समझ वाले जातीय संगठन और PFI एवं अन्य साम्प्रदायिक और आतंकी संगठन धीरे धीरे अपनी जड़ें फैलाते जा रहे हैं । ये अपनी सेना भी खड़ी कर रहे हैं, उन्हें युद्ध कौशल भी सीखा रहे हैं । भारत के मुसलमान युवकों की भीड़ खुलेआम ‘सर तन से जुदा ‘ के नारे लगाते हैं। किन्तु इस समुदाय की आमजन तथा बौद्धिक लोगों द्वारा खुलेआम इसकी आलोचना या इनके विरोध में कोई भी आंदोलन नही देखा जाता है। यही लोग अपने हित विरोधी आंदोलन में लोकतंत्र की दुहाई देते दिखते हैं, संविधान की किताब और बाबा साहब अम्बेडकर की तस्वीर अपनी सुरक्षा में सामने लिए खड़े दिखते हैं। यहां के सारे आंदोलन जातीय और पहचान में केंद्रित हो गए और धर्मनिरपेक्षता की बजाय मुस्लिम तुष्टिकरण तक सीमित हो गया इसलिए भारत निश्चित तौर पर मान सकता है कि फ्रांस का संस्कृतिक युद्ध जल्द ही इस्लाम के साथ भारत के लिए भी संघर्ष बन जाएगा। – अरुण प्रधान (चित्र साभार सोशल मीडिया और गूगल)

4 thoughts on “फ्रांस को नाहेल की हत्या के बाद मुस्लिम समुदाय द्वारा जलाकर नर्क बना दिया गया ! क्या यह इस्लामोफोबिया नहीं है ?

  1. Well written with facts and fear of demographic changes in France is an eye opener in Indian context. Appeasement to be stopped immediately in India otherwise India jis also heading towards a civil war once muslim popular reach a critical mass. It is already alarming and demography is changed in Seemanchal and other parts.

  2. जल्द ही भारत की स्थिती भी कुछ इसी तरह होने बाली है और हमे तो लगता है इससे भी बत्तर होगा क्योंकि नेताओं के प्रभाव में आकर 50% लोग देश और धर्म तथा संस्कृति के बारे में नहीं सोच रहे हैं ।
    आज भारत की सभी राजनितिक पार्टियां मुस्लिमों को लुभाने में जुटी है ताकि वो सता में आ सके और देश को बर्बाद कर सके

    1. धन्यवाद मनीष जी.आपने आलेख पढ़ा और अपनी प्रतिक्रिया दी. उम्मीद है आप हमें अपना सपोर्ट देते रहेंगे.
      – Team newspcm

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