मथुरा : मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि पर मुस्लिम समुदाय द्वारा बनाए शाही ईदगाह मस्जिद के विरुद्ध उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय में विवाद चल रहा है। हिंदू पक्षकारों ने यह केस श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर मस्जिद बनाकर पूर्व में मुसलमानों द्वारा की गई शरारत के खिलाफ किया था। अब 1 अगस्त को मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट का बड़ा फैसला आया है।

हाई कोर्ट ने मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर मुस्लिम पक्ष की आपत्ति वाली अर्ज़ी खारिज कर दी है। मुस्लिम पक्ष ने अपनी याचिकाओं में विवाद में हिंदू पक्षकारों के दावे की मेंटेनबिलिटी को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने हिंदू पक्ष के सिविल वाद की मेंटेनबिलिटी वाली याचिकाएं मंजूर कर ली हैं।

इलाहाबाद हाई कोर्ट में मथुरा के श्रीकृष्ण जन्म भूमि विवाद में आए रुख के बाद अब केश पर सुनवाई आगे जारी रहेगी। इस मामले में अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी। माननीय न्यायाधीश मयंक कुमार जैन की सिंगल बेंच ने यह फैसला सुनाया।

मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विराजमान के द्वारा इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दावे के बाद मुसलमानों के इस्लामिक वक्फ बोर्ड का अपराधिक और माफिया चरित्र भी सामने आया है। वक्फ को कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति दान दे सकता है। वक्फ को दान प्रदान की जानेवाली संपत्ति किसी व्यक्ति की निजी होनी चाहिए। किंतु मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को बिना स्वामित्व द्वारा प्रदान किये ही वक्फ बोर्ड ने इस पर कब्जा कर वक्फ बोर्ड की संपत्ति घोषित कर दी। वक्फ बोर्ड के नियमों के अनुसार ऐसा नहीं किया जा सकता है लेकिन वक्फ बोर्ड ने यह अपराधिक कृत्य किया।

मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि विराजमान पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इस रुख से मथुरा में प्रभु श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में मुस्लिम पक्ष को जबर्दस्त झटका लगा है। हाई कोर्ट ने शाही मस्जिद के पक्षकारों को साफ-साफ शब्दों में कहा है कि हिंदुओं ने जो 18 याचिका दायर की थी उसमें से कोई भी याचिका खारिज नहीं होगा।जबकि उन्होंने हाई कोर्ट से अपील की थी कि हिंदुओं के सारे याचिका को रद्द कर दिया जाए

उच्च न्यायालय में मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पक्षकारों ने अपने पक्ष में कहा कि – 1. ईदगाह का पूरा ढाई एकड़ का एरिया भगवान श्रीकृष्ण विराजमान का गर्भगृह है। 2. मस्जिद कमेटी के पास भूमि का कोई ऐसा रिकॉर्ड नहीं है। 3. सीपीसी का आदेश-7, नियम-11 इस याचिका में लागू ही नहीं होता है। 4. मंदिर तोड़कर मस्जिद का अवैध निर्माण किया गया है। 5. जमीन का स्वामित्व कटरा केशव देव का है। 6. बिना स्वामित्व अधिकार के वक्फ बोर्ड ने बिना किसी वैध प्रक्रिया के इस भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया है। 7. भवन पुरातत्व विभाग से भी संरक्षित घोषित है, इसलिए भी इसमें उपासना स्थल अधिनियम लागू नहीं होता है। 8. एएसआई ने इसे नजूल भूमि माना है, इसे वक्फ संपत्ति नहीं कह सकते।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मुस्लिम पक्षकारों ने कोर्ट में दलील दी थी कि 1. इस जमीन पर दोनों पक्षों के बीच 1968 में समझौता हुआ है। 2. साठ साल बाद समझौते को गलत बताना ठीक नहीं। 3. लिहाजा, मुकदमा चलने योग्य ही नहीं है। 4. उपासना स्थल कानून यानी प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत भी मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है। 5. 15 अगस्त 1947 के दिन जिस धार्मिक स्थल की पहचान और प्रकृति जैसी है वैसी ही बनी रहेगी। यानी उसकी प्रकृति नहीं बदली जा सकती। 6. लिमिटेशन एक्ट और वक्फ अधिनियम के तहत भी इस मामले को देखा जाए। 7. इस विवाद की सुनवाई वक्फ ट्रिब्यूनल में हो, यह सिविल कोर्ट में सुना जाने वाला मामला है ही नहीं।

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