जनजातीय-महोत्सव

जनजातीय-महोत्सव

रांची, 9 अगस्त 2022: झारखण्ड में आयोजित जनजातीय महोत्सव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घोषणा की कि झारखंड में आदिवासियों को अब महाजनों और साहूकारों से लिया गया कर्ज नहीं लौटाना होगा। शादी व श्राद्ध के मौके पर सामूहिक भोज के लिए सरकार 100 किलो चावल और दस किलो दाल मुफ्त देगी। राज्य सरकार इसके लिए सख्त कानून बना रही है। हेमंत सोरेन ने झारखंड जनजातीय महोत्सव के शुभारंभ के अवसर पर इसकी विधिवत घोषणा की।

झारखंड जनजातीय महोत्सव का मंगलवार को दो दिन के लिए शुरूहो गया है। झारखंड में पहली बार आयोजित इस दो दिवसीय महोत्सव का उदघाटन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और शिबू सोरेन ने किया। इस महोत्सव में झारखंड सरकार के कई मंत्री और विधायक मौजूद थे।

मुख्यमंत्री ने इस आयोजनमें साथ ही जनजातीय परिवारों से सामूहिक भोज के लिए कर्ज नहीं लेने का आह्वान किया। उन्होंने राज्य में प्रत्येक वर्ष नौ अगस्त को जनजातीय महोत्सव आयोजित किए जाने की घोषणा करते हुए केंद्र सरकार से प्रत्येक वर्ष नौ अगस्त को सार्वजनिक अवकाश लागू करने की मांग करते हुए कहा कि यह दिन आदिवासियों के इतिहास का महत्वपूर्ण अध्याय है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जनजातीय महोत्सव में अपने सरकार की बात करते हुए कहा कि जानवर, जंगल बचाने की बात सभी करते हैं, लेकिन आदिवासियों को बचाने की बात कोई नहीं करता। जबकि आदिवासी बचेंगे तो जंगल और जानवर भी बचेंगे। संविधान में जनजातीय समाज को लेकर किए गए प्रविधान सिर्फ चर्चा के विषय हैं। हमारे पास संख्या बल और धन बल भी नहीं है। यदि होता तो हम भी जैन और पारसी की तरह अपनी पहचान को बचा पाते।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राज्य समन्वय समिति के अध्यक्ष सह राज्यसभा सदस्य शिबू सोरेन ने आदिवासियों के विकास पर जोर देते हुए कहा कि भाषा और संस्कृति ही आदिवासियों की ताकत है, इसे बचाना है। इसके लिए सरकार को हर कदम उठाना चाहिए। आदिवासियों की संस्कृति और भाषाएं इस समय खतरे में हैं। दोनों लुप्त हेाती जा रही हैं। भाषा और संस्कृति बचेगी तभी आदिवासी भी बचेंगे। झारखंड सरकार द्वारा भाषा व संस्कृति के क्षेत्र में किए गए कार्यों और प्रयासों की उन्होंने सराहना की।

झारखंड जनजातीय महोत्सव के उदघाटन सत्र को झारखंड के कल्याण मंत्री चंपई सोरेन, शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो, राज्यसभा सदस्य महुआ मांजी ने भी संबोधित किया।

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