ये डेविड लेटीमर (David Latimer) हैं। अमेरिका के इस शख़्स ने शौक़ शौक़ में एक ऐसा कारनामा किया है जो भविष्य में बहुत काम आने वाला है।
डेविड जो अब 83 साल के हैं, उन्होंने 1960 में एक 35 लीटर की कैपेसिटी वाली बॉटल में एक्सपेरिमेंट के लिए स्पाइडरवॉर्ट्स नाम के पौधे के बीज डाले, मिट्टी में थोड़ी सी खाद मिलाई और तार की मदद से इस पौधे के बीजॉ को इस बॉटल में टॉप दिया, और बॉटल का ढक्कन बंद कर दिया, उन्होंने बॉटल को अपने घर की खिड़की पास ऐसी जगह रखा जहां दिन भर इस बॉटल पर धूप पड़ती रहे।
धीरे धीरे बॉटल के अंदर पौधों का पनपना शुरू हो गया, और पनपते पनपते एक बोतल के अंदर एक पूरा ईको सिस्टम यानि पारिस्थितिकी तंत्र डेवलोप हो गया। सड़ी गली पत्तियाँ खाद और पोषक तत्वों का निर्माण करती हैं और धूप से प्रकाश संश्लेषण करके पौधे विस्तार पाते गए। उन्होंने केवल एक बार सन् 1972 में इस बॉटल का ढक्कन खोला था और उसमें 1 ग्लास पानी डाला था।
अब लगभग 64 साल बाद एक बोतल के अंदर बना तंत्र पूरी तरह से विकसित है। यहीं पौधों की ज़रूरत की कार्बन डाइऑक्साइड भी बन जाती है और सूक्ष्म जीव भी इसके अंदर पनप चुके हैं।
ब्रिटेन की रॉयल हार्टिकल्चर सोसाइटी इस ईकोसिस्टम को पाना चाहती है ताकि वो इस प्रयोग से और जानकारियाँ जुटा सके, लेकिन डेविड अपनी बसाई एक छोटी सी दुनिया अपने नाती पोतों के लिए एक निशानी बतौर उन्हें देकर जाना चाहते हैं। यह प्रयोग भविष्य में अंतरिक्ष और अन्य ग्रहों पर इंसानी कॉलोनी बनाने में काफ़ी मददगार हो सकता है। (साभार गूगल)