प्यू pewresearch.org ने यह शोध मुसलमानों की जनसंख्या का भारत में विकास दर और उसके संबंधित समाज में बन रहे भ्रम के संदर्भ को केंद्रित करते हुए प्रकाशित किया है। इस शोध का जिक्र कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज नेता श्री दिग्विजय सिंह ने भाजपा सरकार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन के पहल पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था। दिग्विजय सिंह के इस बयान के बाद इस अमेरिकी शोध की चर्चा हो रही है।

इस मुद्दे पर प्रसिद्ध भारतीय अर्थशास्त्री, कॉलमनिस्ट और पत्रकार Swaminathan Shankar Anklesaria Aiyar, ‘स्वामीनाथन शंकर अंकलेसरिया अय्यर’ ने भी अपने विचार रखे।

इस मुद्दे पर कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने कहा है कि “जनता में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि मुसलमानों की जनसंख्या बढ़ती जा रही है और हिंदुओं की घटती जा रही है और इस कारण 2030-2040 तक मुसलमान बहुसंख्यक हो जाएंगे। मुसलमानों की जन्म दर हिंदुओं से अधिक तेजी से गिर रही है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इसी प्रकार से हिंदुओं और मुसलमानों की जन्म दर घटती रही तो साल 2028 तक दोनों की जन्म दर स्थायी होकर भारत की जनसंख्या स्थिर हो जाएगी”। इस मुद्दे ने अब उछाल ले ली है और आबादी को लेकर फिर से बहस होने लगी है। जिसमें धार्मिक और राजनीतिक ऐंगल जुड़ना लाजिमी है। क्योंकि यह भारत में धार्मिक आबादी पर एक रिपोर्ट तैयार की है। इसमें बताया गया है कि हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सहित सभी धार्मिक समूहों की प्रजनन दर में काफी कमी आई है। भारत में सबसे ज्यादा हिंदुओं की आबादी है और आम धारणा है कि मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ रही है लेकिन इस रिपोर्ट में 1992 से 2015 के बीच के आंकड़ों को सामने रखते हुए बताया गया है कि सभी धार्मिक समूहों में प्रजनन दर (बच्चों की संख्या) में कमी आई है।

1992 में एक मुस्लिम महिला के 4 से ज्यादा बच्चे होते थे। यह आंकड़ा 2015 में घटकर 4 से कम हो कर 2 से ज्यादा पर आ गया है। इसी तरह हिंदुओं में 3 से ज्यादा बच्चे पैदा होने का आंकड़ा अब 2.1 हो गया है। ईसाई 2.9 से घटकर 2, बौद्ध 2.9 से घटकर 1.7, सिख 2.4 से घटकर 1.6 और जैन 2.4 से घटकर 1.2 हो गया है। किन्तु अभी का सच यह भी है कि सभी धार्मिक समूहों की तुलना में मुस्लिम ज्यादा बच्चे पैदा कर रहे हैं।

प्यू रिपोर्ट के मुताबिक 1951 और 2011 के बीच भारत की कुल आबादी तीन गुने से ज्यादा बढ़ी है। जबकि 1990 के दशक की तुलना में ग्रोथ रेट घटी है। साल 1951 में भारत की जनसंख्या 36.1 करोड़ थी, जो साल 2011 आते-आते 120 करोड़ पहुंच गई। हिंदुओं की आबादी 1951 में 30.4 करोड़ थी जो 96.6 करोड़ पहुंच गई। जबकि 3.5 करोड़ मुसलमानों की जनसंख्या बढ़कर 17.2 करोड़ हो गई। ईसाइयों की संख्या 80 लाख से बढ़कर 2.8 करोड़ पहुंच गई। इसी तरह से दूसरे धार्मिक समूहों की आबादी में भी वृद्धि देखी गई है।

भारत की आबादी में 79.8 प्रतिशत हिंदू और 14.2 प्रतिशत मुसलमान हैं। बाकी 6 प्रतिशत में ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन आते हैं। मुस्लिमों में प्रजनन दर बाकी धार्मिक समूहों से ज्यादा है लेकिन हाल के दशकों में इसमें गिरावट देखी गई है। भारत में जनसंख्या बढ़ने का सीधा कनेक्शन महिलाओं की शिक्षा से जुड़ा है। महिलाएं जितनी ज्यादा शिक्षित होती हैं बच्चों की संख्या कम होती है।

संयुक्त राष्ट्र ने 2019 में अनुमान लगाया था कि 17.5 मिलियन लोग जो भारत में पैदा हुए, बाहर रहने लगे और 5.2 मिलियन ऐसे भी लोग हैं जो विदेश में पैदा हुए और भारत में रहते हैं। और उस साल भारत की आबादी में इनका आंकड़ा 0.4 प्रतिशत था। करीब 30 हजार भारतीयों पर किए गए सर्वे में कुछ लोगों ने बताया कि उन्होंने बचपन में धर्मांतरण किया था। 99 प्रतिशत वयस्क जो हिंदू थे और अब भी हिंदू हैं। मुस्लिम परिवार में जन्मे 97 प्रतिशत वयस्क अब भी मुस्लिम हैं और 94 प्रतिशत लोग ईसाई परिवार में जन्मे और अब भी ईसाई हैं। अगर धर्मांतरण का आंकड़ा देखें तो 0.7 प्रतिशत लोग हिंदू परिवार में जन्मे और अब उनकी पहचान हिंदू नहीं है जबकि 0.8 प्रतिशत दूसरे धर्म के लोग थे और अब हिंदू हैं। ऐसे में भारत की विशाल आबादी को देखते हुए प्रवास या धर्मांतरण की भूमिका नगण्य है।भारत दुनिया के 94 प्रतिशत हिंदुओं का घर है। नेपाल के अलावा भारत दुनिया का सबसे बड़ा हिंदू बहुल देश है। महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत में दुनिया के कई देशों से ज्यादा मुस्लिम आबादी निवास करती है। इंडोनेशिया में 2010 में 20.9 करोड़ मुस्लिम आबादी है इस के बाद सबसे ज्यादा मुसलमान भारत में ही रहते हैं। पाकिस्तान की मुस्लिम आबादी भी मोटे तौर पर भारत के बराबर ही है। बांग्लादेश का चौथा नंबर आता है, वहां 13.4 करोड़ मुसलमान रहते हैं।

उत्तर प्रदेश में 20 करोड़, महाराष्ट्र में 11.2 करोड़, बिहार में 10.4 करोड़ समेत भारत के 35 राज्यों में से 28 में हिंदू बहुसंख्यक हैं। मुस्लिम लक्षद्वीप और जम्मू-कश्मीर में बहुसंख्यक हैं यानि कुल आबादी का 1.9 करोड़। ईसाई नगालैंड में 20 लाख, मिजोरम में 10 लाख और मेघालय में 30 लाख, इन राज्यों में ईसाई बहुसंख्यक हैं। पंजाब अकेला ऐसा राज्य हैं, जहां सिख बहुसंख्यक हैं। 2011 की जनगणना में पंजाब में सिखों की आबादी 1.6 करोड़ थी।

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