न्यूयॉर्क, 25 सितम्बर 2021 : अमेरिका पर 9/11 के हुए हमले को कौन नहीं परिचित है, जब इस्लामिक कट्टरपंथियों ने 9 सितम्बर 2001 को अमेरिका के ट्विन टावर को हवाई जहाज की टक्कर से ध्वस्त कर 2,977 अमेरिकन की जान ले ली थी। इसकी 20वीं वर्षगांठ पर कैलिफोर्निया के एक मुस्लिम धर्मगुरु इमाम यासिर फ़जागा ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपने प्रश्नों को लेकर जाने की बात की है।

अमेरिका के आम जनमानस में यह सवाल उठाये जा रहे हैं कि वे सुरक्षा और स्वतंत्रता में किसे चुनें? यह सवाल इस्लाम समर्थक कोई ग्रुप उठा रहा है या इस्लामिक कट्टरपंथ के खतरों को आगाह करने वाला कोई ग्रुप, यह पता नहीं चल रहा है! वैसे, इसका उत्तर नवंबर के महीने में अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट दे सकता है।

कैलिफोर्निया के एक मुस्लिम धर्मगुरु इमाम यासिर फ़जागा ने वर्ष 2011 में दो अन्य लोगों के साथ मिलकर और “अमेरिकी इस्लामिक काउंसिल” की मदद से फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (FBI) के खिलाफ केस दाखिल किया है। मुस्लिम धर्मगुरु इमाम यासिर फ़जागा का आरोप है कि एफबीआई मुसलमानों पर केवल मुसलमान होने के कारण ही निगरानी कर रहा है।

दिसंबर 2020 में एफबीआई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस दाखिल किया गया था‘तनवीर बनाम तंजीम’ से। जिसमें यह आरोप था कि एफबीआई जबरन लोगों को मुसलमानों की मुखबीरी के लिए मजबूर कर रहा है। अपने केस के सिलसिले में फजागा कहते हैं कि नवंबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट में यह तय हो जाएगा कि एफबीआई का अधिकारी ज्यादा ताकतवर है या फिर सुप्रीम कोर्ट का जज।

तो, मुस्लिम धर्मगुरु इमाम यासिर फ़जागा के आरोपों पर एफबीआई ने जबाव दिया है कि उनकी जांच ‘State secret’ सरकारी सुरक्षा का मामला है। अगर इसे उजागर किया तो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।

नवंबर में एफबीआई बनाम फजागा केस में सबसे पहला प्रश्न सुप्रीम कोर्ट के सामने यह होगा कि इस केस में सरकार को स्टेट सीक्रेट का प्रिविलेज देना सही होगा या नहीं।(फोटो साभार गूगल)

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